इस्लामशाह सूरी: Difference between revisions

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*इस्लामशाह ने 1545 से 1554 ई. तक शासन किया।
*इस्लामशाह ने 1545 से 1554 ई. तक शासन किया।
*उसने राज्य के बाग़ी सरदारों पर कड़ी कार्यवाही की और उनका दमन किया।
*उसने राज्य के बाग़ी सरदारों पर कड़ी कार्रवाई की और उनका दमन किया।
*अपने शासन काल में इस्लामशाह सूरी ने धक्करों के विद्रोहों को पूरी तरह से दबा दिया।
*अपने शासन काल में इस्लामशाह सूरी ने धक्करों के विद्रोहों को पूरी तरह से दबा दिया।
*इस्लामशाह ने [[मानकोट]] का निर्माण करके [[कश्मीर]] पर अपने आधिपत्य को और भी मज़बूत किया।
*इस्लामशाह ने [[मानकोट]] का निर्माण करके [[कश्मीर]] पर अपने आधिपत्य को और भी मज़बूत किया।

Latest revision as of 09:03, 10 February 2021

इस्लामशाह सूरी दिल्ली के बादशाह शेरशाह सूरी (1540-1545 ई.) का पुत्र और उसका उत्तराधिकारी था। इस्लामशाह का मूल नाम 'जलाल ख़ाँ' था, इसके साथ ही वह 'सलीमशाह' के नाम से भी विख्यात था।[1]

  • इस्लामशाह ने 1545 से 1554 ई. तक शासन किया।
  • उसने राज्य के बाग़ी सरदारों पर कड़ी कार्रवाई की और उनका दमन किया।
  • अपने शासन काल में इस्लामशाह सूरी ने धक्करों के विद्रोहों को पूरी तरह से दबा दिया।
  • इस्लामशाह ने मानकोट का निर्माण करके कश्मीर पर अपने आधिपत्य को और भी मज़बूत किया।
  • पिता द्वारा किये गये बहुत-से शासन सुधारों को उसने जारी रखा और सेना की दक्षता बनाये रखी।
  • भरी जवानी में ही इस्लामशाह सूरी की मृत्यु 1554 ई. में हो गयी।
  • इस्लामशाह के पश्चात् उसके उत्ताधिकारियों के समय सूर-साम्राज्य 5 भागों में बँट गया।
  • सूर-साम्राज्य की आपसी कलह का लाभ उठाकर हुमायूँ ने भारत पर आक्रमण कर दिया।
  • हुमायूँ ने "मच्छिवारा" और "सरहिन्द" के युद्धों को जीतकर सूर वंश का अंत कर दिया और 1555 ई. में दिल्ली पर अधिकार कर लिया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 56 |

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