कपय नायक: Difference between revisions
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*[[दिल्ली]] के [[तुग़लक़ वंश]] की शक्ति क्षीण होने पर 1335-1336 ई. के पश्चात् कपय नायक ने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया। | *[[दिल्ली]] के [[तुग़लक़ वंश]] की शक्ति क्षीण होने पर 1335-1336 ई. के पश्चात् कपय नायक ने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया। | ||
*[[हिन्दू]] साम्राज्य की स्थापना करने में [[विजयनगर]] राज्य के संस्थापक दो भाइयों [[हरिहर प्रथम|हरिहर]] और [[बुक्का प्रथम|बुक्का]] के साथ उसने सहयोग किया। | *[[हिन्दू]] साम्राज्य की स्थापना करने में [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के संस्थापक दो भाइयों [[हरिहर प्रथम|हरिहर]] और [[बुक्का प्रथम|बुक्का]] के साथ उसने सहयोग किया। | ||
*कपय नायक ने अपनी राजधानी [[वारंगल]] में स्थापित की थी। | *कपय नायक ने अपनी राजधानी [[वारंगल]] में स्थापित की थी। | ||
*1442 ई. में वारंगल पर [[बहमनी वंश|बहमनी]] राज्य का आधिपत्य हो गया और हिन्दू साम्राज्य का सपना टूट गया। | *1442 ई. में वारंगल पर [[बहमनी वंश|बहमनी]] राज्य का आधिपत्य हो गया और हिन्दू साम्राज्य का सपना टूट गया। |
Latest revision as of 09:00, 19 November 2011
कपय नायक तेलंगाना के हिन्दुओं का नेता था। 1336 ई. में उसने दक्षिण भारत के पूर्वी तट पर अपने अलग राज्य की स्थापना की थी।
- भारत से मुसलमानों का जुआ उतार फेंकने के प्रति कपय नायक दृढ़-प्रतिज्ञ था।
- दिल्ली के तुग़लक़ वंश की शक्ति क्षीण होने पर 1335-1336 ई. के पश्चात् कपय नायक ने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिया।
- हिन्दू साम्राज्य की स्थापना करने में विजयनगर राज्य के संस्थापक दो भाइयों हरिहर और बुक्का के साथ उसने सहयोग किया।
- कपय नायक ने अपनी राजधानी वारंगल में स्थापित की थी।
- 1442 ई. में वारंगल पर बहमनी राज्य का आधिपत्य हो गया और हिन्दू साम्राज्य का सपना टूट गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 76 |