क़ुवैत: Difference between revisions

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==स्थिति तथा इतिहास==
==स्थिति तथा इतिहास==
क़ुवैत 290.20’ उत्तर; 400.00’ पूर्व में स्थित है। इसका नाम 'कुत' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- 'क़िला'। इसे 'क़ुरैन' भी कहते हैं। इसकी स्थापना शेख़ सबा प्रथम ने 1756 ई. में की थी। [[1898]]  में तुर्की ने इस पर अधिकार करने का प्रयास किया था। फलस्वरूप [[1899]] ई. में शेख़ मुबारक ने [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] से एक संधि करके सुरक्षा संरक्षण प्राप्त किया। [[1914]] ई. में अंग्रेज़ों ने अपने संरक्षण के अंतर्गत इसकी स्वतंत्र सत्ता स्वीकार की। [[19 जून]], [[1961]] में एक नई संधि हुई, जिसमें [[1899]] की संधि समाप्त कर दी गई और आंतरिक एवं बाह्य सभी मामलों में इसकी पूर्ण स्वतंत्रता की गई।<ref>{{cite web |url=http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%95%E0%A4%BC%E0%A5%81%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%A4|title=क़ुवैत|accessmonthday=18 फ़रवरी|accessyear=2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
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==तेल उद्योग==
==तेल उद्योग==
[[1938]] ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व नहीं था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए क़ुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेज़ी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी 'गल्फ़ ऑयल' की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और [[1946]] से क्रूड ऑयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश [[ईरान]] और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है।
[[1938]] ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व नहीं था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत् में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए क़ुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेज़ी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी 'गल्फ़ ऑयल' की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और [[1946]] से क्रूड ऑयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश [[ईरान]] और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है।
==निर्यात==
==निर्यात==
तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है, जिसकी क्षमता 1,90,000 बैरेल प्रतिदिन है, किंतु उत्पादन का 80 प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपर टैंकरों में तेल भरा जा सकता है। 'क़ुवैत आयल कंपनी' के अतिरिक्त, जिसमें अब क़ुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, [[1948]] में 'अमेरिकन इंडिपेंडेंट ऑयल कंपनी' को क़ुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो क़ुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेल शोध का अधिकार दिया गया। वहाँ [[1953]] में तेल के स्रोत मिले और उसी [[वर्ष]] से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं।
तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है, जिसकी क्षमता 1,90,000 बैरेल प्रतिदिन है, किंतु उत्पादन का 80 प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपर टैंकरों में तेल भरा जा सकता है। 'क़ुवैत आयल कंपनी' के अतिरिक्त, जिसमें अब क़ुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, [[1948]] में 'अमेरिकन इंडिपेंडेंट ऑयल कंपनी' को क़ुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो क़ुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेल शोध का अधिकार दिया गया। वहाँ [[1953]] में तेल के स्रोत मिले और उसी [[वर्ष]] से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं।

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क़ुवैत अरब के उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर ईराक और सऊदी अरब के बीच के रेगिस्तानी प्रदेश के सिरे पर स्थित 1950 वर्गमील का छोटा, किंतु अत्यंत महत्व का अरब राज्य है। 1938 ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व नहीं था। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत् में क़ुवैत का एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है।

स्थिति तथा इतिहास

क़ुवैत 290.20’ उत्तर; 400.00’ पूर्व में स्थित है। इसका नाम 'कुत' शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है- 'क़िला'। इसे 'क़ुरैन' भी कहते हैं। इसकी स्थापना शेख़ सबा प्रथम ने 1756 ई. में की थी। 1898 में तुर्की ने इस पर अधिकार करने का प्रयास किया था। फलस्वरूप 1899 ई. में शेख़ मुबारक ने अंग्रेज़ों से एक संधि करके सुरक्षा संरक्षण प्राप्त किया। 1914 ई. में अंग्रेज़ों ने अपने संरक्षण के अंतर्गत इसकी स्वतंत्र सत्ता स्वीकार की। 19 जून, 1961 में एक नई संधि हुई, जिसमें 1899 की संधि समाप्त कर दी गई और आंतरिक एवं बाह्य सभी मामलों में इसकी पूर्ण स्वतंत्रता की गई।[1]

तेल उद्योग

1938 ई. के पूर्व इसका कोई राजनीतिक अथवा आर्थिक महत्व नहीं था। यहाँ के निवासी समुद्री व्यापार पर निर्भर करते थे। नाव का निर्माण, नाविक कला, अरबी घोड़े, मोती, ऊन, भेड़ ही उनके व्यवसाय थे। किंतु अब तेल के उद्योग के कारण विश्व के आर्थिक जगत् में इसका एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण स्थान है। तेल के शोध के लिए क़ुवैत आयल कंपनी ने, जिसमें अंग्रेज़ी ऐंग्लो-इरानियन आयल कंपनी और अमरीकी 'गल्फ़ ऑयल' की समान साझेदारी थी, अनुमति प्राप्त की और 1946 से क्रूड ऑयल का उत्पादन आरंभ हुआ। यह उत्पादन बड़ी तीव्रता से बढ़ा और इस क्षेत्र में यह देश ईरान और सऊदी अरब से बराबरी का दावा करता है।

निर्यात

तेल की खानों से मीना-अल-अहमदी तक एक पाइप लाइन बिछा दी गई है और वहाँ तेल साफ करने का कारखाना लगा दिया गया है, जिसकी क्षमता 1,90,000 बैरेल प्रतिदिन है, किंतु उत्पादन का 80 प्रतिशत बिना साफ किए ही निर्यात होता है। इस निर्यात के लिए मीना-अल-अहमदी में बंदरगाह का इस प्रकार विस्तार किया गया है कि एक साथ पाँच सुपर टैंकरों में तेल भरा जा सकता है। 'क़ुवैत आयल कंपनी' के अतिरिक्त, जिसमें अब क़ुवैत सरकार की आधे की साझेदारी है, 1948 में 'अमेरिकन इंडिपेंडेंट ऑयल कंपनी' को क़ुवैत के तटस्थ प्रदेश में जो क़ुवैत और सऊदी अरब के बीच में हैं, तेल शोध का अधिकार दिया गया। वहाँ 1953 में तेल के स्रोत मिले और उसी वर्ष से वहाँ से भी तेल बड़ी मात्रा में निर्यात होता हैं।

क़ुवैत ने अपने तटस्थ प्रदेश के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का अधिकार एक जापानी कंपनी को दे रखा है। वहाँ से 1961 से तेल निकल रहा है और जापान निर्यात किया जाता है। क़ुवैत के तटवर्ती समुद्र से तेल निकालने का काम एक डच कंपनी भी कर रही है। अब एक स्पेन की कंपनी को भी तेल निकालने का अधिकार प्राप्त हुआ है। इस प्रकार क़ुवैत में तेल उद्योग का निरंतर विकास हो रहा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. क़ुवैत (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 18 फ़रवरी, 2014।

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