आसफ़ ख़ाँ (गियासबेग़ पुत्र): Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('*आसफ़ ख़ाँ, बादशाह अकबर के शासनकाल में फ़ारस से [[भ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(12 intermediate revisions by 6 users not shown)
Line 1: Line 1:
*आसफ़ ख़ाँ, बादशाह [[अकबर]] के शासनकाल में [[फ़ारस]] से [[भारत]] आने वाले [[मिर्ज़ा गियासबेग़]] का पुत्र और मेहरुन्निसा का भाई था, जो बादशाह [[जहाँगीर]] (1605-27 ई.) की मलका [[नूरजहाँ]] के नाम से अधिक विख्यात है।
{{बहुविकल्पी|आसफ़ ख़ाँ}}
'''आसफ़ ख़ाँ''' बादशाह [[अकबर]] के शासनकाल में [[फ़ारस]] से [[भारत]] आने वाले [[मिर्ज़ा गियासबेग़]] का पुत्र और मेहरुन्निसा का भाई था। बाद में यही मेहरुन्निसा बादशाह [[जहाँगीर]] की मलका [[नूरजहाँ]] के नाम से अधिक विख्यात हुई। आसफ खाँ का असल नाम अब्दुल हसन था और 'आसफ खाँ' के अतिरिक्त इन्हें 'एतकाद खाँ' तथा 'अमीनुद्दौला' इत्यादि उपाधियां भी मिली थीं।
*आसफ़ ख़ाँ शाही सेवा में था और [[मुग़ल]] दरबार का एक प्रमुख ओहदेदार बन गया था।
*आसफ़ ख़ाँ शाही सेवा में था और [[मुग़ल]] दरबार का एक प्रमुख ओहदेदार बन गया था।
*आसफ़ ख़ाँ की बेटी [[मुमताज महल]] बादशाह जहाँगीर के तीसरे बेटे शहज़ादा खुर्रम को ब्याही थी, जो [[शाहजहाँ]] के नाम से विख्यात है।
*सन्‌ 1621 में एत्माउद्दौला के मरने पर शहंशाह जहाँगीर ने आसफ खाँ को वजीर नियुक्त किया।
*इसके शाइस्ता खाँ, मिर्जा मसीह, मिर्जा हुसेन तथा शाहनवाज खाँ नाम से चार पुत्र थे।
*आसफ़ ख़ाँ की बेटी [[मुमताज़ महल]] बादशाह जहाँगीर के तीसरे बेटे शहज़ादा ख़ुर्रम ([[शाहजहाँ]]) को ब्याही थी।
*1627 ई. में जहाँगीर की मौत के बाद आसफ़ ख़ाँ ने नूरजहाँ के उस षड़यंत्र को विफल कर दिया, जिसके द्वारा वह जहाँगीर के सबसे छोटे बेटे [[शहरयार]] को बादशाह बनाना चाहती थी।
*1627 ई. में जहाँगीर की मौत के बाद आसफ़ ख़ाँ ने नूरजहाँ के उस षड़यंत्र को विफल कर दिया, जिसके द्वारा वह जहाँगीर के सबसे छोटे बेटे [[शहरयार]] को बादशाह बनाना चाहती थी।
*शहरयार को नूरजहाँ की बेटी ब्याही थी। आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ को बादशाह बनाने में सफलता प्राप्त की।
*[[शहरयार]] को [[नूरजहाँ]] की बेटी ब्याही थी। आसफ़ ख़ाँ ने [[शाहजहाँ]] को बादशाह बनाने में सफलता प्राप्त की।
*बादशाह शाहजहाँ ने तख़्त पर बैठने के बाद अपने ससुर आसफ़ ख़ाँ को सल्तनत का वज़ीर बना दिया, जिस पद पर वह मृत्युपर्यन्त बना रहा।
*बादशाह [[शाहजहाँ]] ने तख़्त पर बैठने के बाद अपने ससुर आसफ़ ख़ाँ को सल्तनत का वज़ीर बना दिया, जिस पद पर वह मृत्युपर्यन्त बना रहा।
*सन्‌ 1641 ई. में आसफ खाँ की मृत्यु हो गई और इन्हें [[लाहौर]] के समीप [[रावी नदी]] के तट पर दफना दिया गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=461 |url=}}</ref>




{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|आधार=
|प्रारम्भिक=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|पूर्णता=
|शोध=
|शोध=
}}
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
==संबंधित लेख==
{{मध्य काल}}
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:मध्य काल]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:53, 24 June 2018

आसफ़ ख़ाँ बादशाह अकबर के शासनकाल में फ़ारस से भारत आने वाले मिर्ज़ा गियासबेग़ का पुत्र और मेहरुन्निसा का भाई था। बाद में यही मेहरुन्निसा बादशाह जहाँगीर की मलका नूरजहाँ के नाम से अधिक विख्यात हुई। आसफ खाँ का असल नाम अब्दुल हसन था और 'आसफ खाँ' के अतिरिक्त इन्हें 'एतकाद खाँ' तथा 'अमीनुद्दौला' इत्यादि उपाधियां भी मिली थीं।

  • आसफ़ ख़ाँ शाही सेवा में था और मुग़ल दरबार का एक प्रमुख ओहदेदार बन गया था।
  • सन्‌ 1621 में एत्माउद्दौला के मरने पर शहंशाह जहाँगीर ने आसफ खाँ को वजीर नियुक्त किया।
  • इसके शाइस्ता खाँ, मिर्जा मसीह, मिर्जा हुसेन तथा शाहनवाज खाँ नाम से चार पुत्र थे।
  • आसफ़ ख़ाँ की बेटी मुमताज़ महल बादशाह जहाँगीर के तीसरे बेटे शहज़ादा ख़ुर्रम (शाहजहाँ) को ब्याही थी।
  • 1627 ई. में जहाँगीर की मौत के बाद आसफ़ ख़ाँ ने नूरजहाँ के उस षड़यंत्र को विफल कर दिया, जिसके द्वारा वह जहाँगीर के सबसे छोटे बेटे शहरयार को बादशाह बनाना चाहती थी।
  • शहरयार को नूरजहाँ की बेटी ब्याही थी। आसफ़ ख़ाँ ने शाहजहाँ को बादशाह बनाने में सफलता प्राप्त की।
  • बादशाह शाहजहाँ ने तख़्त पर बैठने के बाद अपने ससुर आसफ़ ख़ाँ को सल्तनत का वज़ीर बना दिया, जिस पद पर वह मृत्युपर्यन्त बना रहा।
  • सन्‌ 1641 ई. में आसफ खाँ की मृत्यु हो गई और इन्हें लाहौर के समीप रावी नदी के तट पर दफना दिया गया।[1]




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 461 |

संबंधित लेख