अराकान: Difference between revisions
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अराकान बर्मा का एक प्रदेश है। अराकान की पट्टी बंगाल की खाड़ी के पूर्वी तट पर स्थित है। यहाँ 1784 ई. तक एक स्वतंत्र राज्य रहा था, जिसे बर्मी लोगों ने जीत लिया था। बर्मा की सीमा के विस्तार से भारत की अंग्रेज़ ब्रिटिश सरकार ने बंगाल के लिए ख़तरा महसूस किया। प्रथम बर्मा युद्ध (1824-1826) का एक कारण यह भी था। युद्ध के बाद अराकान का क्षेत्र 'यन्दबू की सन्धि' के अनुसार भारत की अंग्रेज़ी सरकार को मिल गया।
विस्तार
बंगाल की खाड़ी के पूर्वी तट पर चटगांव (चिटागांग) से नेग्रेस अंतरीप तक अराकान विस्तृत है। इस प्रकार इसकी लंबाई लगभग 400 मील (लगभग 640 कि.मी.) है। इसकी चौड़ाई उत्तर में 90 मील (लगभग 144 कि.मी.) है, परंतु अराकान योमा पर्वत के कारण दक्षिण की ओर अराकान की चौड़ाई धीरे-धीरे कम होते-होते 15 मील (लगभग 24 कि.मी.) हो जाती है। तट पर अनेक टापू हैं। इस प्रदेश का प्रधान नगर 'अकयाब' है। प्रांत चार ज़िलों में विभक्त है। अराकान का क्षेत्रफल लगभग 16,000 वर्ग मील है।[1]
भौगोलिक दशा
अराकान की चार मुख्य नदियाँ- नाफ, मायू, कलदन और लेमरो हैं। कलदन काफ़ी गहरी नदी है और इसमें छोटे जहाज 50 मील (लगभग 80 कि.मी.) भीतर तक जा सकते हैं अन्य नदियाँ बहुत छोटी हैं, क्योंकि वे पहाड़ जिनसे ये निकली हैं, समुद्र के निकट हैं। पर्वत को पार करने के लिए कई दर्रे हैं।
इतिहास
अराकान में निवास करने वालों की सभ्यता अति प्राचीन है। मान्यता के अनुसार 2,666 ई.पू. से आज तक के सभी राजाओं के नाम ज्ञात हैं। कभी मुग़ल और कभी पुर्तग़ाली लोगों ने कुछ भागों पर अधिकार जमा लिया था, परंतु वे जल्द ही पराजित कर दिये गए। सन 1826 से यहाँ अंग्रेज़ों का शासन रहा था। जनवरी, सन 1948 से बर्मा पुन: स्वतंत्र हो गया और अब वहाँ गणतंत्र राज्य है।
धर्म
अराकान का प्रधान नगर पहले अराकान था, परंतु अस्वास्थ्यप्रद होने के कारण अब यहाँ का 'अकयाब नगर' प्रधान नगर हो गया है। हालाँकि अराकान के निवासी मुख्यत: बर्मी है तो भी यहाँ के रीति और रिवाजों में काफ़ी अंतर है। यहाँ बहुत बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।[1]
कृषि
अराकान का प्रदेश पहाड़ी है और केवल दशम भू-भाग में ही खेती हो पाती है। अराकान की मुख्य फ़सल धान है। फल, तंबाकू, मिर्च आदि की भी यहाँ खेती होती है। अराकान में वन क्षेत्रफल भी अधिक है, लेकिन परंतु वर्षा बहुत (औसतन 120 से 130 तक) होती है।
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