बहादुर शाह (गुजरात का सुल्तान): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''बहादुर शाह''' (शासन 1523-1537 ई.) गुजरात का सुल्तान था। उसन...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=बहादुर शाह|लेख का नाम=बहादुर शाह}} | |||
'''बहादुर शाह''' (शासन 1523-1537 ई.) [[गुजरात]] का सुल्तान था। उसने [[मालवा]] के सुल्तान को पराजित करके [[मेवाड़]] पर चढ़ाई की और 1534 ई. में [[चित्तौड़]] पर अधिकार कर लिया। लेकिन एक वर्ष के बाद ही [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] ने उसे पराजित कर दिया और उसके राज्य पर क़ब्ज़ा कर लिया। | '''बहादुर शाह''' (शासन 1523-1537 ई.) [[गुजरात]] का सुल्तान था। उसने [[मालवा]] के सुल्तान को पराजित करके [[मेवाड़]] पर चढ़ाई की और 1534 ई. में [[चित्तौड़]] पर अधिकार कर लिया। लेकिन एक वर्ष के बाद ही [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] ने उसे पराजित कर दिया और उसके राज्य पर क़ब्ज़ा कर लिया। | ||
Revision as of 10:09, 1 April 2013
चित्र:Disamb2.jpg बहादुर शाह | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- बहादुर शाह |
बहादुर शाह (शासन 1523-1537 ई.) गुजरात का सुल्तान था। उसने मालवा के सुल्तान को पराजित करके मेवाड़ पर चढ़ाई की और 1534 ई. में चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया। लेकिन एक वर्ष के बाद ही मुग़ल बादशाह हुमायूँ ने उसे पराजित कर दिया और उसके राज्य पर क़ब्ज़ा कर लिया।
- इस युद्ध में पराजित होने के बाद बहादुर शाह गोवा की ओर भाग गया और अपनी जान बचाई।
- कुछ समय के बाद हुमायूँ गुजरात से वापस लौट गया और उसके बाद बहादुर शाह ने फिर से अपने राज्य पर अधिकार जमा लिया।
- मुग़लों के आक्रमण के कारण उसने पुर्तग़ालियों को बसीन सौंपकर उनसे संधि कर ली।
- अब बहादुर शाह ने अपने राज्य पर पूरी तरह फिर से अपना दख़ल कर लिया।
- कुछ समय पश्चात उसमें और पुर्तग़ालियों में उन्हें दी गई रियायतों को लेकर मतभेद पैदा हो गया।
- इन मतभेदों को दूर करने के लिए पुर्तग़ालियों ने बहादुर शाह को पुर्तग़ाली जहाज़ पर मुलाकात करने के लिए बुलाया।
- फ़रवरी 1537 ई. में पुर्तग़ाली गवर्नर नूनो डा. कुन्हा से उसके जहाज़ पर बहादुर शाह ने मुलाकात की।
- पुर्तग़ालियों ने बहादुर शाह को धोख़ा देकर जहाज़ से गिराकर डुबो दिया और उसके समर्थकों सहित उसे मार डाला।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 279।