आयूथिया

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आयूथिया (अयोध्या) 1350 ई. से 1969 ई. तक स्याम की राजधानी था। वह मिनाम चो फिया लोयबरी नदियों के संगम पर एक द्वीप में बैैंकाक से 42 मील की दूरी पर स्थित है। परंतु इस समय यहाँ के अधिकांश मनुष्य इस द्वीप के समीप मिनाम चो फिया नदी के किनारे रेलमार्ग के समीप निवास करते हैं। इस नगर का विध्वंस 1555 में और फिर 1767 ई. में बर्मी सेनाओं द्वारा हुआ था। 1767 ई. के आक्रमण में बहुमूल्य ऐतिहासिक लेख, निवासस्थान और राजभवन नष्ट हो गए। राजभवन के अवशेषों को वर्तमान राजधानी बैंकाक के भवनों के निर्माण में लगाया गया।

आयूथिया विश्व के एक महत्वपूर्ण चावल निर्यातक क्षेत्र के मध्य में स्थित है। यहाँ 50 इंच वार्षिक वर्षा होती है, जो चावल की उपज के लिए पूर्णत: अनुकूल है। आयूथिया का 'चंगवत' (प्रांत) स्याम के कुल 70 चंगवतों में चावल के उत्पादन में प्रथम है। यहाँ का मत्स्य उद्योग भी महत्वपूर्ण है। यहाँ स्थित सैकड़ों नहरें यातायात के मुख्य साधन हैं। बहुत से नौकाओं पर वास करते हैं। शीघ्रगामिनी मोटर नौकाएं मिनाम नदी द्वारा इस नगर का संबंध बेंकाक और अन्य नगरों से स्थापित करती हैं। आयूथिया चावल और सागौन (टीक) की लकड़ी का व्यापारिक केंद्र है।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 419 |

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