तारीख़-ए-फ़रिश्ता

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तारीख़-ए-फ़रिश्ता (अंग्रेज़ी: Tarikh E Farishta) एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जिसे प्रसिद्ध मुस्लिम इतिहासकार फ़रिश्ता ने लिखा था। ग्वालियर के सांगीतिक वैभव के बारे में तमाम इतिहासकारों ने शिद्दत के साथ लिखा है। उर्दू इतिहासकार फ़रिश्ता ने तारीख़-ए-फ़रिश्ता में लिखा है कि 'ग्वालियर में संगीत का प्रादुर्भाव मालचंद द्वारा भी किया गया था।

  • मुस्लिम इतिहासकार फ़रिश्ता का पूरा नाम 'मुहम्मद क़ासिम हिन्दू शाह' था। वह काफ़ी समय तक बीजापुर में रहा, जहाँ उसे इब्राहीम आदिलशाह द्वितीय का संरक्षण प्राप्त हुआ था।
  • फ़रिश्ता ने भारत के इतिहास पर अपनी पुस्तक भी लिखी थी, जो 'तारीख़-ए-फ़रिश्ता' के नाम से प्रसिद्ध हुई।
  • ब्रिग्स ने उसकी पुस्तक का अंग्रेज़ी में अनुवाद 'भारत में मुसलमानी शक्ति के विकास का इतिहास' नाम से किया है।
  • फ़रिश्ता की मृत्यु 1612 ई. में बीजापुर में हुई।
  • पूर्वी देशों के इतिहासकारों में वह अधिक विश्वसनीय है। उसका प्रसिद्ध इतिहास ग्रन्थ आज भी भारत में मुस्लिमों के शासन काल पर सबसे अधिक प्रामाणिक तथा सटीक माना जाता है।


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