गोलमृत्तिका नगर: Difference between revisions

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'''गोलमृत्तिका नगर''' [[बर्मा]] (आधुनिक '[[म्यांमार]]') के एक प्राचीन नगर का नाम था। इस नगर का अभिज्ञान, 1476 ई. के कल्याणी अभिलेख के अनुसार, थाटन से 20 मील {{मील|मील=20}} दूर स्थित 'अयत्येमा' नामक स्थान से किया गया है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=305|url=}}</ref>
'''गोलमृत्तिका नगर''' [[बर्मा]] (आधुनिक '[[म्यांमार]]') के एक प्राचीन नगर का नाम था। इस नगर का अभिज्ञान, 1476 ई. के कल्याणी अभिलेख के अनुसार, [[थाटोन|थाटन]] से 20 मील {{मील|मील=20}} दूर स्थित 'अयत्येमा' नामक स्थान से किया गया है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=305|url=}}</ref>


*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के समय में गोलमृत्तिका नगर 'ब्रह्मदेश' (बर्मा का प्राचीन नाम) की राजधानी था।
*[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]] के समय में गोलमृत्तिका नगर 'ब्रह्मदेश' (बर्मा का प्राचीन नाम) की राजधानी था।
*यहाँ 'गोल' या 'गौड़' लोगों के अनेक [[मिट्टी]] के घर होने के कारण ही इस नगर का यह विचित्र नाम पड़ा था।
*यहाँ 'गोल' या 'गौड़' लोगों के अनेक [[मिट्टी]] के घर होने के कारण ही इस नगर का यह विचित्र नाम पड़ा था।
*सम्भवत: 'गोल' या 'गौड़' या [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के मूल निवासी रहे होंगे।
*सम्भवत: 'गोल' या 'गौड़' [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] के मूल निवासी रहे होंगे।


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गोलमृत्तिका नगर बर्मा (आधुनिक 'म्यांमार') के एक प्राचीन नगर का नाम था। इस नगर का अभिज्ञान, 1476 ई. के कल्याणी अभिलेख के अनुसार, थाटन से 20 मील (लगभग 32 कि.मी.) दूर स्थित 'अयत्येमा' नामक स्थान से किया गया है।[1]

  • मौर्य सम्राट अशोक के समय में गोलमृत्तिका नगर 'ब्रह्मदेश' (बर्मा का प्राचीन नाम) की राजधानी था।
  • यहाँ 'गोल' या 'गौड़' लोगों के अनेक मिट्टी के घर होने के कारण ही इस नगर का यह विचित्र नाम पड़ा था।
  • सम्भवत: 'गोल' या 'गौड़' बंगाल के मूल निवासी रहे होंगे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 305 |

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