गीता 11:23: Difference between revisions
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हे महाबाहो<ref>यहाँ यह सम्बोधन भी भगवान् [[कृष्ण]] का ही है।</ref> ! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल | हे महाबाहो<ref>यहाँ यह सम्बोधन भी भगवान् [[कृष्ण]] का ही है।</ref> ! आपके बहुत मुख और नेत्रों वाले, बहुत हाथ, जंघा और पैरों वाले, बहुत उदरों वाले और बहुत-सी दाढ़ों के कारण अत्यन्त विकराल महान् रूप को देखकर सब लोग व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ ।।23।। | ||
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ते = आपके; बहुवक्त्रनेत्रम् = बहुत मुख और नेत्रोंवाले =(तथा); बहुबाहूरूपादम् = बहुत हाथ जंघा और पैरोंवाले(और); बहुदरम् = बहुत उदरोंवाले(तथा); बहुदंष्ट्राकरालम् = बहुतसी विकराल जाड़ोंवाले; | ते = आपके; बहुवक्त्रनेत्रम् = बहुत मुख और नेत्रोंवाले =(तथा); बहुबाहूरूपादम् = बहुत हाथ जंघा और पैरोंवाले(और); बहुदरम् = बहुत उदरोंवाले(तथा); बहुदंष्ट्राकरालम् = बहुतसी विकराल जाड़ोंवाले; द्रष्टा= देखकर; लोका: सब लोक; प्रव्यथिता: = व्याकुल हो रहे हैं; अहम् = मैं; (अपि) = भी(व्याकुल हो रहा हूं | ||
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Latest revision as of 05:01, 4 February 2021
गीता अध्याय-11 श्लोक-23 / Gita Chapter-11 Verse-23
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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