प्लक्षप्रस्रवण

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

प्लक्षप्रस्रवण महाभारत काल में सरस्वती नदी के उद्भव स्थान का नाम था।

'पुण्यं तीर्थवरं दृष्टवा विस्मयं परमं गत:, प्रभायं च सरस्वत्या: प्लक्षप्रस्रवणं बल:'[1]

  • यह एक पर्वतश्रृंग था, जो हिमालय की श्रेणी का एक भाग था।
  • बलराम ने सरस्वती के तटवर्ती तीर्थों की यात्रा में प्रभास (सरस्वती समुद्र संगम) से लेकर सरस्वती के उद्भव 'प्लक्षप्रस्रवण' तक के सभी पुण्य स्थलों को देखा था, जिसका विस्तृत वर्णन महाभारत, शल्यपर्व में है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 592 |

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः