गीता 1:38-39: Difference between revisions
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कुल के नाश से कौन-कौन से दोष उत्पन्न होते हैं, इस पर < | कुल के नाश से कौन-कौन से दोष उत्पन्न होते हैं, इस पर [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वह [[द्रोणाचार्य]] का सबसे प्रिय शिष्य था। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में जीतने वाला भी वही था।</ref> कहते हैं- | ||
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गीता अध्याय-1 श्लोक-38, 39 / Gita Chapter-1 Verse-38, 39
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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