गदाधर सिंह: Difference between revisions
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गदाधर सिंह बहुत ही शक्तिशाली शासक था। उसने सभी आन्तरिक षड़यंत्रों और उपद्रवों का दमन किया और असम में राज्य की गिरी हुई प्रतिष्ठा को फिर से ऊँचा उठाया। मीरा और नागा विद्रोहियों के विद्रोह को कुचला और सामन्तों की शक्ति को तोड़ा। गदाधर सिंह [[शाक्त]] (शक्ति का उपासक) था, इसलिए उसने [[वैष्णव|वैष्णवों]] का उत्पीड़न किया और वैष्णव गोसाइयों को कुचल डाला। उसने गौहाटी में कचेरी घाट के बिल्कुल सामने [[ब्रह्मपुत्र]] के एक द्वीप में उमानंदा मन्दिर का निर्माण कराया। [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] और [[हिन्दू]] मन्दिरों को भूमिदान किया, कई राजमार्गों का निर्माण कराया, पत्थर के दो पुल बनवाये, तालाब खुदवाए और आसाम में जोतों का विस्तृत सर्वेक्षण आरम्भ कराया। | |||
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गदाधर सिंह असम के अहोम वंश का 19वाँ राजा था, जिसने असम पर 15 वर्षों (1681-1696 ई.) तक राज्य किया। गदाधर सिंह ने ही सबसे पहले गौहाटी को मुग़ल आधिपत्य से मुक्त कराया और औरंगज़ेब को मोनास नदी अहोम राज्य की सीमा मानने के लिए मजबूर कर दिया। मोनास नदी आधुनिक गोलपाड़ा और कामरूप ज़िलों के बीच बहती है। गदाधर सिंह मुख्य रूप से शक्ति का उपासक था।
- शक्ति सम्पन्न
गदाधर सिंह बहुत ही शक्तिशाली शासक था। उसने सभी आन्तरिक षड़यंत्रों और उपद्रवों का दमन किया और असम में राज्य की गिरी हुई प्रतिष्ठा को फिर से ऊँचा उठाया। मीरा और नागा विद्रोहियों के विद्रोह को कुचला और सामन्तों की शक्ति को तोड़ा। गदाधर सिंह शाक्त (शक्ति का उपासक) था, इसलिए उसने वैष्णवों का उत्पीड़न किया और वैष्णव गोसाइयों को कुचल डाला। उसने गौहाटी में कचेरी घाट के बिल्कुल सामने ब्रह्मपुत्र के एक द्वीप में उमानंदा मन्दिर का निर्माण कराया। ब्राह्मणों और हिन्दू मन्दिरों को भूमिदान किया, कई राजमार्गों का निर्माण कराया, पत्थर के दो पुल बनवाये, तालाब खुदवाए और आसाम में जोतों का विस्तृत सर्वेक्षण आरम्भ कराया।
- निधन
गदाधर सिंह का निधन 1696 ई. में हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 221 |
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