डच ईस्ट इण्डीज: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''डच ईस्ट इण्डीज''' मसाले वाले 'जावा' तथा 'मोलुक्कास' द्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(3 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''डच ईस्ट इण्डीज''' मसाले वाले 'जावा' तथा 'मोलुक्कास' द्वीपों का सम्मिलित राज्य था। 17वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में [[डच]] लोग (हालैण्डवासियों) ने इन द्वीपों में अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को वहाँ अपना पैर जमाने नहीं दिया, यहाँ तक की 1623 ई. में उन्होंने अम्बोयना में अंग्रेज़ों का कत्लेआम करके वहाँ से उनका सफाया कर दिया। बाद के दिनों में मसाले वाले इन द्वीपों पर ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अधिकार कर लिया।
'''डच ईस्ट इण्डीज''' मसाले वाले '[[जावा द्वीप|जावा]]' तथा 'मोलुक्कास' द्वीपों का सम्मिलित राज्य था। 17वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में [[डच]] लोग (हालैण्डवासियों) ने इन द्वीपों में अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं और [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] को वहाँ अपना पैर जमाने नहीं दिया, यहाँ तक की 1623 ई. में उन्होंने अम्बोयना में अंग्रेज़ों का कत्लेआम करके वहाँ से उनका सफाया कर दिया। बाद के दिनों में मसाले वाले इन द्वीपों पर ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अधिकार कर लिया।
==डचों का अधिकार==
==डचों का अधिकार==
डचों ने बटाविया (जावा) को अपना सदरमुकाम बनाया था, जहाँ से [[मलय]] द्वीपसमूह के अधिकांश भाग पर वह आसानी से शासन कर सकते थे। इसके फलस्वरूप मलय द्वीपसमूह 'डच ईस्ट इण्डीज' के नाम से जाना जाने लगा। 19वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में जब [[फ़्राँस]] के नैपोलियन ने हालैण्ड पर अधिकार जमाया, तो मलयद्वीय भी उसके नियंत्रण में आ गया।
डचों ने बटाविया (जावा) को अपना सदरमुकाम बनाया था, जहाँ से [[मलय]] द्वीपसमूह के अधिकांश भाग पर वह आसानी से शासन कर सकते थे। इसके फलस्वरूप मलय द्वीपसमूह 'डच ईस्ट इण्डीज' के नाम से जाना जाने लगा। 19वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में जब [[फ़्राँस]] के नैपोलियन ने हालैण्ड पर अधिकार जमाया, तो मलयद्वीय भी उसके नियंत्रण में आ गया।
====अंग्रेज़ों का क़ब्ज़ा====
====अंग्रेज़ों का क़ब्ज़ा====
इस समय [[भारत]] में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] का [[गवर्नर-जनरल]] [[लॉर्ड मिण्टो प्रथम]] था। उसने मलय द्वीपसमूह पर कब्जा करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने विशेष तैयारी की। 1810 ई. में ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अम्बोयना और मसाले वाले द्वीपों पर अधिकार कर लिया। दूसरे वर्ष मिण्टो ने 12 हज़ार नौसैनिकों का बेड़ा [[सर सैम्युअल आकमटी]] के नेतृत्व में भेजा, जिसने पहले मलक्का पर लंगर डाला। लॉर्ड मिण्टो स्वयं इस बेड़े के साथ में था। इन सैनिकों ने बटाविया पर आसानी से अधिकार कर लिया। इसके बाद कोर्नेलिस के क़िले के लिए [[फ़्राँसीसी]] जनरल जैन्सेन्स, जिसे नैपोलियन ने कमांडर नियुक्त किया था, और [[अंग्रेज़]] फ़ौज के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में विजय के फलस्वरूप सम्पूर्ण मलय द्वीपसमूह अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया।
इस समय [[भारत]] में [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] का [[गवर्नर-जनरल]] [[लॉर्ड मिण्टो प्रथम]] था। उसने मलय द्वीपसमूह पर क़ब्ज़ा करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने विशेष तैयारी की। 1810 ई. में ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अम्बोयना और मसाले वाले द्वीपों पर अधिकार कर लिया। दूसरे वर्ष मिण्टो ने 12 हज़ार नौसैनिकों का बेड़ा [[सर सैम्युअल आकमटी]] के नेतृत्व में भेजा, जिसने पहले मलक्का पर लंगर डाला। लॉर्ड मिण्टो स्वयं इस बेड़े के साथ में था। इन सैनिकों ने बटाविया पर आसानी से अधिकार कर लिया। इसके बाद कोर्नेलिस के क़िले के लिए [[फ़्राँसीसी]] जनरल जैन्सेन्स, जिसे नैपोलियन ने कमांडर नियुक्त किया था, और [[अंग्रेज़]] फ़ौज के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में विजय के फलस्वरूप सम्पूर्ण मलय द्वीपसमूह अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया।
 
==वियना की सन्धि==
लॉर्ड मिण्टो इस द्वीप समूह का प्रशासन स्टैम्फ़ोर्ड रैफ़िल्स के जिम्मे छोड़कर भारत वापस आ गया। लेकिन जब 1815 ई. में 'वियना की सन्धि' के फलस्वरूप [[यूरोप]] में शान्ति स्थापित हुई, तो 1816 ई. में 'डच ईस्ट इण्डीज' (मलय द्वीपसमूह) हालैण्ड को वापस कर दिया गया। अब यह इण्डोनेशिया के स्वाधीन गणतंत्र के अंतर्गत है।
मलय द्वीपसमूह पूरी तरह से [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के अधिकार में आ जाने के बाद लॉर्ड मिण्टो इसका प्रशासन स्टैम्फ़ोर्ड रैफ़िल्स के अधिकार में छोड़कर [[भारत]] वापस आ गया। लेकिन जब 1815 ई. में 'वियना की सन्धि' की गई, तब इसके फलस्वरूप [[यूरोप]] में शान्ति की स्थापना हो गई। यह इस सन्धि का ही परिणाम था कि 1816 ई. में 'डच ईस्ट इण्डीज' (मलय द्वीपसमूह) हालैण्ड को फिर से वापस कर दिया गया। अब यह इण्डोनेशिया के स्वाधीन गणतंत्र के अंतर्गत आता है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 12: Line 12:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{विदेशी स्थान}}
[[Category:]]
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:औपनिवेशिक काल]][[Category:अंग्रेज़ी शासन]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 06:56, 9 April 2014

डच ईस्ट इण्डीज मसाले वाले 'जावा' तथा 'मोलुक्कास' द्वीपों का सम्मिलित राज्य था। 17वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में डच लोग (हालैण्डवासियों) ने इन द्वीपों में अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं और अंग्रेज़ों को वहाँ अपना पैर जमाने नहीं दिया, यहाँ तक की 1623 ई. में उन्होंने अम्बोयना में अंग्रेज़ों का कत्लेआम करके वहाँ से उनका सफाया कर दिया। बाद के दिनों में मसाले वाले इन द्वीपों पर ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अधिकार कर लिया।

डचों का अधिकार

डचों ने बटाविया (जावा) को अपना सदरमुकाम बनाया था, जहाँ से मलय द्वीपसमूह के अधिकांश भाग पर वह आसानी से शासन कर सकते थे। इसके फलस्वरूप मलय द्वीपसमूह 'डच ईस्ट इण्डीज' के नाम से जाना जाने लगा। 19वीं शताब्दी ई. के प्रारम्भ में जब फ़्राँस के नैपोलियन ने हालैण्ड पर अधिकार जमाया, तो मलयद्वीय भी उसके नियंत्रण में आ गया।

अंग्रेज़ों का क़ब्ज़ा

इस समय भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का गवर्नर-जनरल लॉर्ड मिण्टो प्रथम था। उसने मलय द्वीपसमूह पर क़ब्ज़ा करने का निश्चय किया। इसके लिए उसने विशेष तैयारी की। 1810 ई. में ब्रिटिश भारतीय फ़ौज ने अम्बोयना और मसाले वाले द्वीपों पर अधिकार कर लिया। दूसरे वर्ष मिण्टो ने 12 हज़ार नौसैनिकों का बेड़ा सर सैम्युअल आकमटी के नेतृत्व में भेजा, जिसने पहले मलक्का पर लंगर डाला। लॉर्ड मिण्टो स्वयं इस बेड़े के साथ में था। इन सैनिकों ने बटाविया पर आसानी से अधिकार कर लिया। इसके बाद कोर्नेलिस के क़िले के लिए फ़्राँसीसी जनरल जैन्सेन्स, जिसे नैपोलियन ने कमांडर नियुक्त किया था, और अंग्रेज़ फ़ौज के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में विजय के फलस्वरूप सम्पूर्ण मलय द्वीपसमूह अंग्रेज़ों के अधिकार में आ गया।

वियना की सन्धि

मलय द्वीपसमूह पूरी तरह से अंग्रेज़ों के अधिकार में आ जाने के बाद लॉर्ड मिण्टो इसका प्रशासन स्टैम्फ़ोर्ड रैफ़िल्स के अधिकार में छोड़कर भारत वापस आ गया। लेकिन जब 1815 ई. में 'वियना की सन्धि' की गई, तब इसके फलस्वरूप यूरोप में शान्ति की स्थापना हो गई। यह इस सन्धि का ही परिणाम था कि 1816 ई. में 'डच ईस्ट इण्डीज' (मलय द्वीपसमूह) हालैण्ड को फिर से वापस कर दिया गया। अब यह इण्डोनेशिया के स्वाधीन गणतंत्र के अंतर्गत आता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 179 |


संबंधित लेख