गीता 13:34: Difference between revisions
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तीसरे श्लोक में जिन छ: बातों को कहने का भगवान् ने संकेत किया था, उनका वर्णन करके अब इस अध्याय में वर्णित समस्त उपदेश को भलीभाँति समझने का फल परब्रह्म परमात्मा को प्राप्ति बतलाते हुए अध्याय का उपसंहार करते है- | तीसरे [[श्लोक]] में जिन छ: बातों को कहने का भगवान् ने संकेत किया था, उनका वर्णन करके अब इस अध्याय में वर्णित समस्त उपदेश को भलीभाँति समझने का फल परब्रह्म परमात्मा को प्राप्ति बतलाते हुए अध्याय का उपसंहार करते है- | ||
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इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान-नेत्रों द्वारा तत्त्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्रा परमात्मा को प्राप्त होते | इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान-नेत्रों द्वारा तत्त्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्रा परमात्मा को प्राप्त होते हैं।।34।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 10:00, 6 January 2013
गीता अध्याय-13 श्लोक-34 / Gita Chapter-13 Verse-34
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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