पंचनद (महाभारत): Difference between revisions

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'''पंचनद''' प्रदेश का उल्लेख [[महाभारत]] में हुआ है। महाभारत में [[पंजाब]] को 'पंचनद प्रदेश' कहा गया है।
'''पंचनद''' [[पंजाब]] का प्राचीन नाम था। इसका पंचनद नाम यहाँ की [[झेलम नदी|झेलम]], [[चिनाब नदी|चिनाब]], [[रावी नदी|रावी]], [[सतलुज नदी|सतलुज]] और [[व्यास नदी]] नदियों के कारण हुआ था। [[महाभारत]] के युद्ध में पंचनद निवासियों ने [[दुर्योधन]] की सेना का पक्ष लिया था। पंचनद के एक छोर पर [[दुर्योधन]] की माता [[गांधारी]] के [[पिता]] का [[गांधार]] देश स्थित था।<ref>[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]], अध्याय 32, [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]], अध्याय 42, 43, 134 [[उद्योगपर्व महाभारत|उद्योगपर्व]], अध्याय 4, 19, [[कर्णपर्व महाभारत|कर्णपर्व]], अध्याय 45.</ref> महाभारत में पंचनद का नामोल्लेख है-


*महाभारत के युद्ध में पंचनद निवासियों ने [[दुर्योधन]] की सेना का पक्ष लिया था।
*इस प्रदेश को [[पाण्डव]] [[नकुल]] ने अपनी दिग्विजय यात्रा में जीता था-
*पंचनद के एक छोर पर दुर्याधन की माता [[गांधारी]] के [[पिता]] का [[गांधार]] देश था।<ref>[[महाभारत]], सभापर्व, अध्याय 32, वनपर्व, अध्याय 42, 43, 134 उद्योगपर्व, अध्याय 4, 19, कर्णपर्व, अध्याय 45.</ref>
<blockquote>'तत: पंचनद गत्वा नियतो नियताशन:'।</blockquote>
*[[वनपर्व महाभारत|महाभारत वनपर्व]]<ref>[[वनपर्व महाभारत|महाभारत वनपर्व]] 83, 16</ref> से पंचनद की [[तीर्थ]] रूप में भी मान्यता सिद्ध होती है।
*पंचनद [[अग्निपुराण]]<ref>[[अग्निपुराण]] 109</ref> में भी उल्लिखित है।
*[[विष्णुपुराण]]<ref>[[विष्णुपुराण]] 38, 12</ref> में [[श्रीकृष्ण]] के स्वर्गारोहण के पश्चात् और [[द्वारका]] के [[समुद्र]] में बह जाने पर [[अर्जुन]] द्वारा द्वारकावासियों को पंचनद प्रदेश में बसाए जाने का उल्लेख है-
<blockquote>'पार्थ: पंचनदे देशे बहुधान्यधनान्विते, चकारवासं सर्वस्य जनस्य मुनिसत्तम'।</blockquote>
 
उपर्युक्त [[श्लोक]] में (पंचनद) [[पंजाब]] को धन धान्य समन्वित देश बताया गया है, जो इस प्रदेश की आज भी विशेषता है।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==

Revision as of 14:10, 19 June 2012

पंचनद पंजाब का प्राचीन नाम था। इसका पंचनद नाम यहाँ की झेलम, चिनाब, रावी, सतलुज और व्यास नदी नदियों के कारण हुआ था। महाभारत के युद्ध में पंचनद निवासियों ने दुर्योधन की सेना का पक्ष लिया था। पंचनद के एक छोर पर दुर्योधन की माता गांधारी के पिता का गांधार देश स्थित था।[1] महाभारत में पंचनद का नामोल्लेख है-

  • इस प्रदेश को पाण्डव नकुल ने अपनी दिग्विजय यात्रा में जीता था-

'तत: पंचनद गत्वा नियतो नियताशन:'।

'पार्थ: पंचनदे देशे बहुधान्यधनान्विते, चकारवासं सर्वस्य जनस्य मुनिसत्तम'।

उपर्युक्त श्लोक में (पंचनद) पंजाब को धन धान्य समन्वित देश बताया गया है, जो इस प्रदेश की आज भी विशेषता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख