गीता 17:10: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>")
m (Text replace - "{{गीता2}}" to "{{प्रचार}} {{गीता2}}")
Line 53: Line 53:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
{{प्रचार}}
{{गीता2}}
{{गीता2}}
</td>
</td>

Revision as of 05:51, 14 June 2011

गीता अध्याय-17 श्लोक-10 / Gita Chapter-17 Verse-10


यातयाम गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ।।10।।



जो भोजन अधपका, रसरहित, दुर्गन्ध युक्त, बासी और उच्छिष्ट है तथा जो अपवित्र भी है वह भोजन तामस पुरुष को प्रिय होता है ।।10।।

Food which is half-cooked or half-ripe, insipid, putrid, stale and polluted, and which is impure too, is dear to men a Tamasika disposition. (10)


यत् = जो ; भोजनम् = भोजन ; च = और ; पूति = दुर्गन्धयुक्त (एवं) ; पर्युषितम् = बासी (और) ; उच्छिष्टम् = उच्छिष्ट है ; च = तथा (जो) ; यातयामम् = अघपका ; गतरसम् = रसरहित ; अमेध्यम् = अपवित्र ; अपि = भी है ; तत् = वह (भोजन) ; तामसप्रियम् = तामस पुरुष को प्रिय होता है



अध्याय सतरह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-17

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)