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*वर्ष 2008 [[भारत]]-चीन संबधों की दृष्टि से महत्वपूर्ण वर्ष रहा है। प्रधानमंत्री [[डा. मनमोहन सिंह]] ने 13-15 जनवरी, 2008 के दौरान पीपल्स रिपब्लिक आफ चीन की सरकारी यात्रा की। [[भारत]] और चीन के नेताओं ने दोनों देशों के बीच शांति और खुशहाली के लिए सामरिक एवं सहयोगात्मक संबंध विकसित करने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने सभी बकाया मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए दूर करने का दृढ़ संकल्प दोहराया और यह सुनिश्चित करने का भी संकल्प व्यक्त किया कि ऎसे मतभेदों का आपसी संबधों के रचनात्मक विकास पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने "21 वीं सदी के लिए साझा लक्ष्य" तय करने संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसमें दोनों देशों की यह अकांक्षा झलकती है कि वे क्षेत्रीय और बहुराष्ट्रीय मामलों में आपसी हित के क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे।  
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*भारत और चीन के विदेशमंत्रियों ने भी क्रमशः जून, [[2008]] और सितंबर, 2008 में एक-दूसरे देश की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान गुवान्झू और [[कोलकाता]] में नए, महावाणिज्य दूतावासों का औपचारिक रूप से विमोचन किया गया।  
*भारत और चीन के विदेशमंत्रियों ने भी क्रमशः जून, [[2008]] और सितंबर, 2008 में एक-दूसरे देश की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान गुवान्झू और [[कोलकाता]] में नए, महावाणिज्य दूतावासों का औपचारिक रूप से विमोचन किया गया।  
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*आपसी व्यापार 2008 में 51.8 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुँच गया जो दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा [[2010]] के लिए तय किए गए 60 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य के लक्ष्य के क़्ररीब है।  
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*भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में 12 वें दौर के विचार-विमर्श के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक सितबंर, 2008 में हुई।  
*भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में 12 वें दौर के विचार-विमर्श के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक सितबंर, 2008 में हुई।  
*मई, 2008 में चीन के सिचुवान प्रांत में आए विनाशकारी भूकंप के बाद [[भारत]] ने मानवीय सहायता के रूप में चीन को 50 लाख अमरीकी डॉलर की मदद पहुँचायी।  
*मई, 2008 में चीन के सिचुवान प्रांत में आए विनाशकारी भूकंप के बाद [[भारत]] ने मानवीय सहायता के रूप में चीन को 50 लाख अमरीकी डॉलर की मदद पहुँचायी।  
*दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट और जलवायु परिवर्तन सहित महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्री मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श भी किया।
*दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट और जलवायु परिवर्तन सहित महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्री मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श भी किया।
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Revision as of 13:29, 4 January 2011

  • वर्ष 2008 भारत-चीन संबधों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण वर्ष रहा है। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने 13-15 जनवरी, 2008 के दौरान पीपल्स रिपब्लिक आफ चीन की सरकारी यात्रा की। भारत और चीन के नेताओं ने दोनों देशों के बीच शांति और खुशहाली के लिए सामरिक एवं सहयोगात्मक संबंध विकसित करने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने सभी बकाया मतभेदों को शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए दूर करने का दृढ़ संकल्प दोहराया और यह सुनिश्चित करने का भी संकल्प व्यक्त किया कि ऎसे मतभेदों का आपसी संबधों के रचनात्मक विकास पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने "21 वीं सदी के लिए साझा लक्ष्य" तय करने संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिसमें दोनों देशों की यह अकांक्षा झलकती है कि वे क्षेत्रीय और बहुराष्ट्रीय मामलों में आपसी हित के क्षेत्रों में एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे।
  • भारत और चीन के विदेशमंत्रियों ने भी क्रमशः जून, 2008 और सितंबर, 2008 में एक-दूसरे देश की यात्रा की। इन यात्राओं के दौरान गुवान्झू और कोलकाता में नए, महावाणिज्य दूतावासों का औपचारिक रूप से विमोचन किया गया।
  • आपसी व्यापार 2008 में 51.8 अरब अमरीकी डॉलर पर पहुँच गया जो दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा 2010 के लिए तय किए गए 60 अरब अमरीकी डॉलर मूल्य के लक्ष्य के क़्ररीब है।
  • रक्षा संबंधों के क्षेत्र में सहयोग और आदान-प्रदान भी जारी रहा। इसके अंतर्गत दिसंबर, 2008 में भारत में दूसरा सयुक्त सैन्य अभ्यास और दूसरी वार्षिक रक्षा वार्ता आयोजित की गई।
  • भारत-चीन सीमा विवाद के बारे में 12 वें दौर के विचार-विमर्श के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बैठक सितबंर, 2008 में हुई।
  • मई, 2008 में चीन के सिचुवान प्रांत में आए विनाशकारी भूकंप के बाद भारत ने मानवीय सहायता के रूप में चीन को 50 लाख अमरीकी डॉलर की मदद पहुँचायी।
  • दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट और जलवायु परिवर्तन सहित महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्री मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ विचार-विमर्श भी किया।
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