उद्योग पर्व महाभारत: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (1 अवतरण) |
m (Text replace - "{{महाभारत}}" to "==अन्य लिंक== {{महाभारत}}") |
||
Line 13: | Line 13: | ||
*अम्बोपाख्यान पर्व्। | *अम्बोपाख्यान पर्व्। | ||
उद्योग पर्व में [[विराट]] की सभा में [[पाण्डव]] पक्ष से श्री[[कृष्ण]], [[बलराम]], सात्यकि का एकत्र होना और युद्ध के लिए [[द्रुपद]] की सहायता से पाण्डवों का युद्धसज्जित होना, [[कौरव|कौरवों]] की युद्ध की तैयारी, द्रुपद के पुरोहित ला कौरवों की सभा जाना और सन्देश-कथन, [[धृतराष्ट्र]] का पाण्डवों के यहाँ संजय को संदेश देकर भेजना, [[संजय]] का [[युधिष्ठिर]] से वार्तालाप, धृतराष्ट्र का [[विदुर]] से वार्तालाप, सनत्सुजात द्वारा धृतराष्ट्र को उपदेश, धृतराष्ट्र की सभा में लौटे हुए संजय तथा पाण्डवों का सन्देश-कथन, युधिष्ठिर के सेनाबल का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को और धृतराष्ट्र द्वारा [[दुर्योधन]] को समझाना, पाण्डवों से परामर्श कर कृष्ण द्वारा शान्ति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास जाना, दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को बन्दी बनाने का षडयन्त्र करना, गरुड़गालवसंवाद, विदुलोपाख्यान, लौटे हुए श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों को दण्ड देने का परामर्श, पाण्डवों और कौरवों द्वारा सैन्यशिविर की स्थापना और सेनापतियों का चयन, दुर्योधन के दूत उलूक द्वारा सन्देश लेकर पाण्डव-सभा में जाना, दोनों पक्षों की सेनाओं का वर्णन, अम्बोपाख्यान, [[भीष्म]]-[[परशुराम]] का युद्ध आदि विषयों का वर्णन है। | उद्योग पर्व में [[विराट]] की सभा में [[पाण्डव]] पक्ष से श्री[[कृष्ण]], [[बलराम]], सात्यकि का एकत्र होना और युद्ध के लिए [[द्रुपद]] की सहायता से पाण्डवों का युद्धसज्जित होना, [[कौरव|कौरवों]] की युद्ध की तैयारी, द्रुपद के पुरोहित ला कौरवों की सभा जाना और सन्देश-कथन, [[धृतराष्ट्र]] का पाण्डवों के यहाँ संजय को संदेश देकर भेजना, [[संजय]] का [[युधिष्ठिर]] से वार्तालाप, धृतराष्ट्र का [[विदुर]] से वार्तालाप, सनत्सुजात द्वारा धृतराष्ट्र को उपदेश, धृतराष्ट्र की सभा में लौटे हुए संजय तथा पाण्डवों का सन्देश-कथन, युधिष्ठिर के सेनाबल का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को और धृतराष्ट्र द्वारा [[दुर्योधन]] को समझाना, पाण्डवों से परामर्श कर कृष्ण द्वारा शान्ति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास जाना, दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को बन्दी बनाने का षडयन्त्र करना, गरुड़गालवसंवाद, विदुलोपाख्यान, लौटे हुए श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों को दण्ड देने का परामर्श, पाण्डवों और कौरवों द्वारा सैन्यशिविर की स्थापना और सेनापतियों का चयन, दुर्योधन के दूत उलूक द्वारा सन्देश लेकर पाण्डव-सभा में जाना, दोनों पक्षों की सेनाओं का वर्णन, अम्बोपाख्यान, [[भीष्म]]-[[परशुराम]] का युद्ध आदि विषयों का वर्णन है। | ||
==अन्य लिंक== | |||
{{महाभारत}} | {{महाभारत}} | ||
[[Category:पौराणिक कोश]] | [[Category:पौराणिक कोश]] | ||
[[Category:महाभारत]] | [[Category:महाभारत]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 06:48, 21 March 2010
उद्योग पर्व / Udyog Parv
उद्योग पर्व के अन्तर्गत 10 (उप) पर्व हैं और इसमें कुल 196 अध्याय हैं। इन 10 (उप) पर्वों के नाम हैं-
- सेनोद्योग पर्व,
- संजययान पर्व,
- प्रजागर पर्व,
- सनत्सुजात पर्व,
- यानसन्धि पर्व,
- भगवद्-यान पर्व,
- सैन्यनिर्याण पर्व,
- उलूकदूतागमन पर्व,
- रथातिरथसंख्या पर्व,
- अम्बोपाख्यान पर्व्।
उद्योग पर्व में विराट की सभा में पाण्डव पक्ष से श्रीकृष्ण, बलराम, सात्यकि का एकत्र होना और युद्ध के लिए द्रुपद की सहायता से पाण्डवों का युद्धसज्जित होना, कौरवों की युद्ध की तैयारी, द्रुपद के पुरोहित ला कौरवों की सभा जाना और सन्देश-कथन, धृतराष्ट्र का पाण्डवों के यहाँ संजय को संदेश देकर भेजना, संजय का युधिष्ठिर से वार्तालाप, धृतराष्ट्र का विदुर से वार्तालाप, सनत्सुजात द्वारा धृतराष्ट्र को उपदेश, धृतराष्ट्र की सभा में लौटे हुए संजय तथा पाण्डवों का सन्देश-कथन, युधिष्ठिर के सेनाबल का वर्णन, संजय द्वारा धृतराष्ट्र को और धृतराष्ट्र द्वारा दुर्योधन को समझाना, पाण्डवों से परामर्श कर कृष्ण द्वारा शान्ति प्रस्ताव लेकर कौरवों के पास जाना, दुर्योधन द्वारा श्रीकृष्ण को बन्दी बनाने का षडयन्त्र करना, गरुड़गालवसंवाद, विदुलोपाख्यान, लौटे हुए श्रीकृष्ण द्वारा कौरवों को दण्ड देने का परामर्श, पाण्डवों और कौरवों द्वारा सैन्यशिविर की स्थापना और सेनापतियों का चयन, दुर्योधन के दूत उलूक द्वारा सन्देश लेकर पाण्डव-सभा में जाना, दोनों पक्षों की सेनाओं का वर्णन, अम्बोपाख्यान, भीष्म-परशुराम का युद्ध आदि विषयों का वर्णन है।