अस्थि स्तूप: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replace - "पुरातत्व" to "पुरातत्त्व")
Line 9: Line 9:
*धातुभवन के उत्तर में एक पत्थर का स्तूप था।  
*धातुभवन के उत्तर में एक पत्थर का स्तूप था।  
*जनश्रुति के अनुसार यह स्तूप ऐसे अद्भुत पाषाण का बना था कि उंगली के छूने से ही हिलने लगता था।  
*जनश्रुति के अनुसार यह स्तूप ऐसे अद्भुत पाषाण का बना था कि उंगली के छूने से ही हिलने लगता था।  
*हिद्दा में फ्रांसीसी पुरातत्वज्ञों ने एक प्राचीन स्तूप को खोज निकाला है जिसे पश्तो में खायस्ता या विशाल स्तूप कहते हैं यह अभी तक अच्छी दशा में है।
*हिद्दा में फ्रांसीसी पुरातत्त्वज्ञों ने एक प्राचीन स्तूप को खोज निकाला है जिसे पश्तो में खायस्ता या विशाल स्तूप कहते हैं यह अभी तक अच्छी दशा में है।





Revision as of 06:41, 3 October 2011

अस्थि/हड्डी/हिद्दा
  • अस्थि वर्तमान जलालाबाद या प्राचीन नगरहार से 5 मील दक्षिण में है।
  • बौद्धकाल में यह प्रसिद्ध तीर्थ था।
  • फाह्यान तथा युवानच्वांग दोनों ने ही यहां के स्तूपों तथा गगनचुंबी विहारों का वर्णन किया है।
  • यहां कई स्तूप थे जिनमें बुद्ध का दांत, तथा शरीर की अस्थियों के कई अंश निहित थे।
  • जिस स्तूप में बुद्ध के सिर की अस्थि रखी थी उसके दर्शन करने वालों से एक स्वर्णमुद्रा ली जाती थी फिर भी यहां यात्रियों का मेला-सा लगा रहता था।
  • नगर 3-4 मील के घेरे में एक पहाड़ी के ऊपर स्थित था।
  • पहाड़ी पर एक सुंदर उद्यान के भीतर एक दुमंजिला धातुभवन था जिसमें किंवदंती के अनुसार बुद्ध की उष्णीष-अस्थि, शिरकंकाल, एक नेत्र, क्षत्र-दंड और संघटी निहित थी।
  • धातुभवन के उत्तर में एक पत्थर का स्तूप था।
  • जनश्रुति के अनुसार यह स्तूप ऐसे अद्भुत पाषाण का बना था कि उंगली के छूने से ही हिलने लगता था।
  • हिद्दा में फ्रांसीसी पुरातत्त्वज्ञों ने एक प्राचीन स्तूप को खोज निकाला है जिसे पश्तो में खायस्ता या विशाल स्तूप कहते हैं यह अभी तक अच्छी दशा में है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख