ग़ज़नी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
शिल्पी गोयल (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[चित्र:Ghazni.jpg|thumb|250px|ग़ज़नी का एक दृश्य]] | |||
'''ग़ज़नी''' [[अफ़ग़ानिस्तान]] का एक पहाड़ी नगर है, जो [[काबुल]] से दक्षिण-पश्चिम में 78 मील पर स्थित एक व्यापारिक केन्द्र है। | |||
*मध्य युग में ग़ज़नी क़िले के रूप में था। | *मध्य युग में ग़ज़नी क़िले के रूप में था। | ||
*10वीं शताब्दी में अलप्तग़ीन नामक तुर्क ने यहाँ एक छोटे से राज्य की स्थापना कर ग़ज़नी को राजधानी बनाया। अलप्तगीन की मृत्यु 963 ई. में हुई। उसका पुत्र सुबुक्तग़ीन और पौत्र सुल्तान महमूद (997-1030 ई.) था, जो कि [[महमूद ग़ज़नवी]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। | *10वीं शताब्दी में अलप्तग़ीन नामक तुर्क ने यहाँ एक छोटे से राज्य की स्थापना कर ग़ज़नी को राजधानी बनाया। अलप्तगीन की मृत्यु 963 ई. में हुई। उसका पुत्र सुबुक्तग़ीन और पौत्र सुल्तान महमूद (997-1030 ई.) था, जो कि [[महमूद ग़ज़नवी]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। | ||
Line 8: | Line 9: | ||
*[[ग़ोर के सुल्तान]] आरम्भ में ग़ज़नी के सुल्तानों के सामन्त थे। | *[[ग़ोर के सुल्तान]] आरम्भ में ग़ज़नी के सुल्तानों के सामन्त थे। | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
Line 16: | Line 16: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
Line 24: | Line 24: | ||
[[Category:इतिहास_कोश]] | [[Category:इतिहास_कोश]] | ||
[[Category:विदेशी स्थान]] | [[Category:विदेशी स्थान]] | ||
[[Category:विदेशी नगर]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 06:54, 22 February 2012
thumb|250px|ग़ज़नी का एक दृश्य ग़ज़नी अफ़ग़ानिस्तान का एक पहाड़ी नगर है, जो काबुल से दक्षिण-पश्चिम में 78 मील पर स्थित एक व्यापारिक केन्द्र है।
- मध्य युग में ग़ज़नी क़िले के रूप में था।
- 10वीं शताब्दी में अलप्तग़ीन नामक तुर्क ने यहाँ एक छोटे से राज्य की स्थापना कर ग़ज़नी को राजधानी बनाया। अलप्तगीन की मृत्यु 963 ई. में हुई। उसका पुत्र सुबुक्तग़ीन और पौत्र सुल्तान महमूद (997-1030 ई.) था, जो कि महमूद ग़ज़नवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- ग़ज़नी नगर बड़े-बड़े भवनों, चौड़ी सड़कों और संग्रहालयों से परिपूर्ण था। लेकिन सन 1151 में गोर के अलाउद्दीन हुसेन ने इस नगर को जलाकर ख़ाक कर दिया। इसके लिए उसे जहाँसोज की उपाधि मिली।
- बाद में शहाबुद्दीन गोरी ने इस नगर का उद्धार किया और इसे अपना सदर-मुक़ाम बनाया व यही ग़ोरी बाद में भारत का पहला मुस्लिम विजेता बना।
- यह नगर आधुनिक काल तक महत्त्वपूर्ण सामरिक अड्डा बना रहा।
- प्रथम अफ़ग़ान युद्ध के दौरान ब्रिटिश जनरल नाट ने इस नगर की क़िलेबंदी को नष्ट कर दिया।
- ग़ोर के सुल्तान आरम्भ में ग़ज़नी के सुल्तानों के सामन्त थे।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-116