गीता 18:70: Difference between revisions
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इस प्रकार उपर्युक्त दो श्लोकों में गीताशास्त्र का श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवद्भक्तों में विस्तार करने का फल और माहात्म्य बतलाया; किन्तु सभी मनुष्य इस कार्य को नहीं कर सकते, इसका अधिकारी तो कोई विरला ही होता | इस प्रकार उपर्युक्त दो [[श्लोक|श्लोकों]] में गीताशास्त्र का श्रद्धा-भक्तिपूर्वक भगवद्भक्तों में विस्तार करने का फल और माहात्म्य बतलाया; किन्तु सभी मनुष्य इस कार्य को नहीं कर सकते, इसका अधिकारी तो कोई विरला ही होता है। इसलिये अब गीताशास्त्र के अध्ययन का माहात्म्य बतलाते हैं | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 07:03, 7 January 2013
गीता अध्याय-18 श्लोक-70 / Gita Chapter-18 Verse-70
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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