दुबई: Difference between revisions

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दुबई संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की सात अमीरातों में से एक है। यह फारस की खाड़ी के दक्षिण में अरब प्रायद्वीप पर स्थित है। दुबई अरब प्रायद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है। दुबई नगर पालिका को अमीरात से अलग बताने के लिए कभी कभी दुबई राज्य बुलाया जाता है। लिखित दस्तावेजों में इस शहर का अस्तित्व संयुक्त अरब अमीरात के गठन से 150 साल पहले होने का जिक्र है।

आकर्षक पर्यटन स्थल

गहरा नीला समुद्र, रेगिस्तान, चका-चौंध कर देनेवाली रोशनी, भव्य इमारतें, लजीज पकवान.. जैसी बहुत-सी चीजें हैं, जो दुबई की ओर आकर्षित करती है। आसमान को छूती इमारतों का शहर है दुबई। आपको धोखा हो जाये कि आदमी बड़ा है या खुदा? रेतीले रेगिस्तान जंगली घास-फूस और खजूर के पेड़ से घिरा यह शहर आपको हर पल हैरान करता रहता है। इसकी चमक-दमक में पूरी दुनिया शामिल है। संयुक्त अरब अमीरात ऐसा वाहिद मुल्क है, जो यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच प्रवास के रास्ते पर है। बसंत और पतझड़ के मौसम में पक्षियों की 320 प्रजातियां अमीरात हो कर गुजरती है। सूर्य हमेशा इस शहर को अपने आगोश में लिए रहता है।[1]

सागर में बसती है दुबई की आत्मा

शहर इस तरह बसाया गया है कि आप हर कोने से समुद्र को महसूस कर सकते हैं। दुबई अरेबियन रेगिस्तान के भीतर है। रेतीय टीलों का एक विशाल समुद्र दक्षिणी दुबई में फैला हुआ है। दक्षिण में अबू धाबी, पूर्वोत्तर में शारजहाँ और दक्षिण पूर्व में ओमान सल्तनत है। दुबई को लोग उसकी भव्यता के लिए जानते हैं पर दुबई की आत्मा सागर में बसती है। फूलों के घने दरख्त, हरी घास, खजूर के पेड़ और समुद्र की लहरें, हर चीज जगमगाती है।

खुला समाज

आपको अंदाज लगाना मुश्किल होगा कि यह मुल्क अरबी लोगों का है या हिन्दुस्तानियों का पाकिस्तानियों का। दिलचस्प बात यह है कि दुबई में अरबी लोगों से ज्यादा बड़ी आबादी हिन्दुस्तान व पाकिस्तान की है। इस्लामिक देश होने के बावजूद यहां का समाज खुला है। औरतें मस्जिद में जाती हैं। काम करती हैं। ये बात आपको हैरान कर सकती है कि शराब को हराम मानने वाले इस्लामिक देश में कई बार है जहां खूब शराब परोसी जाती है। दूसरी ओर एफएम रेडियो पर नमाज के वक्त गाने रोक कर अजान सुनाते हैं।[1]

दुबई संग्रहालय

दुबई के इतिहास को अगर जानना है तो वहां के संग्रहालय को देखना चाहिये। यह संग्रहालय दुबई की सबसे पुरानी इमारत है। जिसे अल फहिदी के नाम से जाना जाता है, का निर्माण 1799 में किया गया। अब यह दुबई संग्रहालय का हिस्सा है।

कला और संस्कृति

पूर्वी अरब प्रायदीप की इस्लाम से पूर्व की संस्कृति के बारे में काफी कम जानकारी मिलती है पर उस संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है नृत्य और संगीत। इतिहास बताता है कि रेतीले इलाकों में भी उनका जीवन संगीतमय था। वे नाचने के लिए घुंघरु की जगह पर बकरी के खुर का इस्तेमाल करते थे। मर्द उसे कमर में बांध कर नाचा करते थे। संग्रहालय में ऐसे कई अवशेष मिले हैं जिससे यह साबित होता है कि दुबई मोती के व्यापार में काफी आगे था। 1930 तक दुबई मोती निर्यात के लिए जाना जाता था। मोती निकालने के लिए मजदूरों के पांव में रस्सी बांध कर और उनकी नाक में क्लीप लगा कर उन्हें समुद्र में फेंक दिया जाता था। तीन मिनट के बाद उन्हें रस्सी के सहारे बाहर निकाला जाता था। उसी तीन मिनट में वे समुद्र से सीप चुनते थे।[1]

वैवभशाली शहर

दुबई हमेशा से भारतीयों के लिए शानो-शौकत व बेशुमार दौलत की जगह के रूप में रहा है। दुनिया में वैभवशाली शहरों का कोई प्रतिमान ढूंढना हो तो दुबई से बेहतर कोई नहीं। तेल की अकूत संपदा ने वहां हर वो चीज ला खड़ी की है जिसकी कल्पना की जा सकती है। इसीलिए जब दुनिया घूमने की बात होती है तो उसमें दुबई सबसे ऊपर होता है। हरियाली की कमी होने के बावजूद रेगिस्तान के इस शहर को धरती का जन्नत कहा जा सकता है। आज दुबई के पास दुनिया के सबसे ऊंचे और सर्वाधिक कमरों वाले होटल हैं। इसके अलावा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा (829.84 मीटर) और दुबई शापिंग माल उसकी शोहरत में चार चांद लगाने के लिए काफी हैं। दुबई माल सहित पूरे दुबई में कुल सत्तर शापिंग माल है जो दुनिया के किसी मुल्क के इक्का-दुक्का शहरों में ही हैं। आलम यह है कि यहां पूरे सालभर विदेशी पर्यटकों की यहां भरमार रहती है। तेज भागती कारों के बीच भी यह शहर इतना शांत रहता है कि पर्यटकों की छुटियां कब बीत जाती हैं उन्हें पता ही नहीं चलता।

कैसे जाएं

खाड़ी के देशों में भारतीयों की बड़ी संख्या में मौजूदगी की वजह से दुबई उन जगहों में से है जहां के लिए भारतीय शहरों से सबसे ज्यादा उड़ानें हैं। खाली दिल्ली से ही दुबई के लिए रोजाना कम से कम दस सीधी उड़ान हैं। सफर लगभग पौने चार घंटे का है। इसी तरह भारत के कई अन्य महानगरों से दुबई के लिए उड़ानें हैं। 15 हजार रुपये से लेकर 18 हजार रुपये तक में आपको दुबई का वापसी हवाई टिकट मिल सकता है।[2]

दुबई मेट्रो

दुबई मेट्रो गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हो गयी है। मेट्रो ने बिना ड्राइवर वाले मेट्रो नेटवर्क का विस्तार 74.695 किलोमीटर तक कर लिया है जो विश्व रिकॉर्ड है। इससे पहले भी यह रिकॉर्ड दुबई मेट्रो रेड लाइन के नाम था। उसने सितंबर 2011 में बिना ड्राइवर वाले लाइन को बढ़ा कर 52 किलोमीटर कर लिया था। दुबई मेट्रो में रेड लाइन और ग्रीन लाइन शामिल हैं। दुबई के सड़क एवं परिवहन प्राधिकरण (आरटीए) के कार्यकारी चेयरमैन मत्तार अल तायेर ने पश्चिम ऐशिया में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड के क्षेत्रीय निदेशक तलाल उमर से रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र प्राप्त किया।[3]

दुबई के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी

  • संयुक्त अरब अमीरात 7 शहरों से मिलकर बना है और उन्हीं में से एक शहर है दुबई।
  • दुनिया की सबसे ऊँची मानी जाने वाली इमारत 'बुर्ज दुबई' यहाँ है। इसमें 164 फ्लोर हैं और लंबाई लगभग 800 मीटर है।
  • यहाँ लेफ्ट हेंड ड्राइव है। सभी चालक सड़क के दाहिनी ओर से चलते हैं।
  • यहाँ पेट्रोल गेलन से मिलता है। भारतीय रुपए के अनुसार क़रीब 15 रुपए लीटर।
  • 09-09-2009 को यहाँ मेट्रो ट्रेन सेवा की शुरुआत हुई।
  • यहाँ पुरुष के लिए 'शेख' और महिला के लिए 'शेखा' का उपयोग नाम के पहले किया जाता है।
  • यहाँ की सड़कों पर केवल कार ही दिखती हैं। इक्का दुक्का बाइक सवार या तो पेपर बाँटने वाले हॉकर होते हैं या फूड डिलीवर करने वाले।
  • यहाँ पानी से ज्यादा सस्ती कोल्ड्रिंक पड़ती है।
  • दुबई में गर्मी काफ़ी पड़ती है। सितंबर-अक्टूबर में यहाँ का तापमान 38 से 42 डिग्री तक चला जाता है। यहाँ प्रत्येक इमारत, कार, बस में एयरकंडीशनर होता है। यहाँ तक कि सड़कों पर बने बस स्टॉप भी एयरकंडीशंड होते हैं।
    पैदल चलने वालों को प्राथमिकता

दुबई में बाजारों को छोड़ दें तो मुख्य मार्गों पर इक्का-दुक्का पैदल यात्री दिखाई देते हैं। बावजूद इसके उनके लिए ट्रैफिक नियमों में काफी आसानी है। हर जेब्रा क्रॉसिंग से पहले एक स्विच लगा है जिसे दबाकर मुख्य मार्ग के ट्रैफिक को रोका जा सकता है। सड़क पार क्रॉस करने के बाद स्विच दबाकर उस मार्ग पर ग्रीन सिग्नल पुनः चालू किया जा सकता है।

  • नौकरी मिलना आसान, लाइसेंस नहीं

कहा जाता है कि दुबई में नौकरी मिलना आसान है लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस नहीं। यहाँ हर तीन साल में लाइसेंस रिन्यू करवाना पड़ता है। पहली बार लाइसेंस लेने में बहुत से टेस्ट और शुल्क देना होता है। यदि आप गाड़ी खरीदने जा रहे हैं तो लाइसेंस होना बेहद जरूरी है। बिना लाइसेंस के शोरूम मैनेजर गाड़ी की टेस्ट ड्राइव भी नहीं देता।

  • कोई हॉर्न नहीं बजाता

दुबई में किसी का हॉर्न बजाना आगे चल रहे चालक को गाली समान लगता है। सभी इतने व्यवस्थित चलते हैं कि हॉर्न बजाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस कारण यहाँ सड़कों पर ध्वनि प्रदूषण बिल्कुल नहीं होता।

  • प्री पेड टोल टैक्स

यहाँ आपकी गाड़ी पर प्री पेड टोल टैक्स का कार्ड लगा होना जरूरी है। कई रास्तों पर टोल टैक्स बार लगे हुए हैं। जब भी आपकी गाड़ी उनके नीचे से गुजरेगी, स्वतः ही उस कार्ड में से दो या चार दिरहम (1 दिरहम 14 भारतीय रुपए के लगभग) कम होता जाता है। यदि प्री पेड कार्ड नहीं है तो इससे पचास गुना ज्यादा की राशि का चालान बन जाता है। प्रत्येक सड़क पर वाहन चालकों के लिए स्पीड निर्धारित है। स्पीड कम या ज्यादा होने पर कैमरे और चालानी राशि आपके इंतजार में रहती है।

  • हजारों रुपए की चालानी कार्रवाई

यहाँ ट्रैफिक को लेकर काफी सख्ती है। कोई भी वाहन चालक नियम तोड़ने में घबराता है। पुलिस कहीं नजर नहीं आती, हर जगह कैमरे लगे हैं। जहाँ नियम तोड़ा वहाँ के फोटो, समय के साथ, क्या गलती की उसका चालान आपके घर पहुँच जाता है। साल के अंत में ऐसे सारे चालानों को भरना जरूरी होता है वरना आगे वाहन चलाने के लिए एनओसी नहीं मिलती। यह चालानी राशि चंद रुपयों में नहीं होती बल्कि मध्यम वर्ग के लोगों की कई महीनों की तनख्वाह तक पहुँच जाती है।

  • ज़मीन को अदब

दुबई में आपको इधर-उधर थूकते लोग नहीं दिखेंगे। यह सिर्फ साफ-सफाई बनाए रखने के लिए नहीं है बल्कि यहाँ के नियमों में ही है। साठ के दशक में यहाँ की जमीन में तेल की खोज की गई थी, तभी से यहाँ जमीन को अदब देने के लिए उस पर कोई थूकता या गंदगी नहीं करता। दुबईवासियों का मानना है कि इस तेल के कारण ही तो दुबई इस ऊँचाई पर है। इसका सम्मान तो हर पल किया जाना चाहिए।

  • दुबई में हैं अनेक भारतीय

यहाँ आने के बाद ऊँची-ऊँची इमारतें, आधुनिक जीवनशैली, इंफ्रास्ट्रक्चर और कानून-कायदों को देख लगा कि हम विदेश में हैं लेकिन जब लोगों से बात की तो हर तरफ भारतीयता का अहसास हुआ। यहाँ भारत के लोग बहुतायत में हैं। किसी भी टैक्सी में बैठ जाएँ, ड्राइवर हिन्दी बोलता है। किसी भी होटल में चले जाएँ, वेटर को हिन्दी आती है और किसी भी शॉपकीपर या उसके हेल्पर को हिन्दी बोलते देखा जा सकता है। ज्यादातर भारतीय यहाँ किसी उच्च पद पर काम नहीं करते लेकिन पगार भारत के रईसों जैसी पाते हैं। वैसे कई भारतीय यहाँ अपना बिजनेस कर रहे हैं और कई अपनी प्रतिभा के बल पर दुबई वासियों को मोहित कर रहे हैं। इसके अलावा यहाँ पाकिस्तान, फिलीपींस और मलेशिया के लोगों की संख्या भी कम नहीं।[4]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 गहरे नीले सागर में बसती है दुबई की आत्मा (हिंदी) प्रभात खबर। अभिगमन तिथि: 9 मई, 2013।
  2. शानो-शौकत का दूसरा नाम है दुबई (हिंदी) जागरण डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 9 मई, 2013।
  3. दुबई मेट्रो गिनीज बुक में शामिल (हिंदी) प्रभात खबर। अभिगमन तिथि: 9 मई, 2013।
  4. कुरैशी, शमी। दुबई की मस्त लाइफस्टाइल (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 9 मई, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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