गीता 2:57: Difference between revisions
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इस प्रकार वापस न लौटने वालों के मार्ग का वर्णन करके अब जिस मार्ग से गये हुए साधक वापस लौटते हैं, उसका वर्णन किया जाता है- | इस प्रकार वापस न लौटने वालों के मार्ग का वर्णन करके अब जिस मार्ग से गये हुए साधक वापस लौटते हैं, उसका वर्णन किया जाता है- | ||
प्रसंग- 'स्थिर बुद्धि वाला योगी कैसे बोलता है ?' इस दूसरे प्रश्न का उत्तर समाप्त करके अब भगवान् 'वह कैसे बैठता है ?' इस तीसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए यह दिखलाते हैं कि स्थित प्रज्ञ पुरुष की [[ | प्रसंग- 'स्थिर बुद्धि वाला योगी कैसे बोलता है ?' इस दूसरे प्रश्न का उत्तर समाप्त करके अब भगवान् 'वह कैसे बैठता है ?' इस तीसरे प्रश्न का उत्तर देते हुए यह दिखलाते हैं कि स्थित प्रज्ञ पुरुष की [[इन्द्रियाँ]] का सर्वथा उसके वश में हो जाना और आसक्ति से रहित होकर अपने-अपने विषयों से उपरत हो जाना ही स्थित प्रज्ञ पुरुष का बैठना है- | ||
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Revision as of 06:51, 17 July 2010
गीता अध्याय-2 श्लोक-57 / Gita Chapter-2 Verse-57
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