गीता 9:28: Difference between revisions
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'''शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनै: ।'''<br /> | '''शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबन्धनै: ।'''<br /> | ||
''' | '''सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ।।28।।''' | ||
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इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान् के अर्पण होते हैं- ऐसे | इस प्रकार, जिसमें समस्त कर्म मुझ भगवान् के अर्पण होते हैं- ऐसे सन्न्यास योग से मुक्त होकर मुझको ही प्राप्त होगा ।।28।। | ||
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एवम् = इस प्रकार; | एवम् = इस प्रकार; सन्न्यासयोगयुक्तात्मा = कर्मों को मेरे अर्पण करनेरूप सन्न्यासयोग से युक्त हुए मनवाला(तूं); शुभाशुभफलै: = शुभाशुभफलरूप; कर्मबन्धनै: = कर्मबन्धन से; मोक्ष्यसे = मुक्त हो जायगा (और उनसे); विमुक्त: = मुक्त हुआ; माम् = मेरे को(ही); उपैष्यसि = प्राप्त होवेगा ; | ||
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Latest revision as of 13:53, 2 May 2015
गीता अध्याय-9 श्लोक-28 / Gita Chapter-9 Verse-28
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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