व्यूह रचना: Difference between revisions
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Latest revision as of 05:42, 19 February 2016
व्यूह युद्ध के लिए सैनिकों की किसी विशेष क्रम से की गयी स्थिति को कहा जाता है। व्यूह का उल्लेख पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। महाभारत के युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा कई प्रकार के व्यूहों की रचना की गई थी। व्यूह का अर्थ है- "सिपाहियों का बना झुण्ड" या "सेना का एक भाग।"
- व्यूह-विशेष की रचना करते समय इन बातों का ध्यान रखना पड़ता था कि सेना का फैलाव कैसा हो? विभिन्न सेना-विभागों का बंटवारा कैसा हो? अर्थात प्रत्येक स्थान पर कौन-सा विभाग किस संख्या में स्थित हो, कौन-कौन-से सेनानायक किन-किन मुख्य स्थानों पर खड़े रहकर सैन्य-संचालन करें, आदि। इन सब बातों को खूब सोच-विचारकर आक्रमण एवं बचाव दोनों प्रकार की कार्यवाहियों की कुशल व्यवस्था रखना ही व्यूह-रचना का उद्देश्य होता था।
- युद्ध में दोनों पक्षों की सेनाओं द्वारा व्यूहों की रचना करके एक-दूसरे के पक्ष के योद्धाओं को उस व्यूह में लाकर उन्हें परास्त कर दिया जाता था।
- महाभारत युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा रचे गए व्यूह निम्न थे-
- चक्रव्यूह
- वज्र व्यूह
- क्रौंच व्यूह
- अर्धचन्द्र व्यूह
- मंडल व्यूह
- चक्रशकट व्यूह
- मगर व्यूह
- औरमी व्यूह
- गरुड़ व्यूह
- श्रीन्गातका व्यूह
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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