अज्ञातवास: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) |
|||
Line 5: | Line 5: | ||
==भीम== | ==भीम== | ||
[[भीम]] [[बल्लव]] बने, बल्लव का अर्थ है सूपकर्त्ता अर्थात रसोइया। रसोई के काम में निपुण होने से उनका यह नाम यथार्थ ही है। | [[भीम (पांडव)|भीम]] [[बल्लव]] बने, बल्लव का अर्थ है सूपकर्त्ता अर्थात रसोइया। रसोई के काम में निपुण होने से उनका यह नाम यथार्थ ही है। | ||
==अर्जुन== | ==अर्जुन== | ||
इस प्रसंग में [[अर्जुन]] को षण्ढक और [[बृहन्नला]] कहा है। षण्ढक शब्द का अर्थ है नपुंसक। अर्जुन इस समय उर्वशी के शाप से नपुंसक हो गये थे। | इस प्रसंग में [[अर्जुन]] को षण्ढक और [[बृहन्नला]] कहा है। षण्ढक शब्द का अर्थ है नपुंसक। अर्जुन इस समय उर्वशी के शाप से नपुंसक हो गये थे। |
Revision as of 07:05, 2 September 2010
पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञातवास भी था जो उन्होंने विराट नगर में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया।
युधिष्ठिर
युधिष्ठिर राजा विराट का मनोरंजन करने वाले कंक बने। जिसका अर्थ होता है यमराज का वाचक है। यमराज का ही दूसरा नाम धर्म है और वे ही युधिष्ठिर रूप में अवतीर्ण हुए थे।
भीम
भीम बल्लव बने, बल्लव का अर्थ है सूपकर्त्ता अर्थात रसोइया। रसोई के काम में निपुण होने से उनका यह नाम यथार्थ ही है।
अर्जुन
इस प्रसंग में अर्जुन को षण्ढक और बृहन्नला कहा है। षण्ढक शब्द का अर्थ है नपुंसक। अर्जुन इस समय उर्वशी के शाप से नपुंसक हो गये थे।
नकुल
नकुल ने अपना नाम ग्रन्थिक बताया और अपने को अश्वों का अधिकारी कहा है। ग्रन्थिक का अर्थ है आयुर्वेद तथा अध्वर्यु विद्या सम्बन्धी ग्रन्थों को जानने वाला।
सहदेव
तन्तिपाल कहकर सहदेव ने गूढ़रूप से युधिष्ठिर को यह बताया कि मैं आपकी प्रत्येक आशा का पालन करूँगा।
द्रौपदी
द्रौपदी ने अपना नाम सैरन्ध्री बताया।