सयूरगल भूमि: Difference between revisions

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*भूमि कर के विभाजन के आधार पर [[मुग़ल साम्राज्य]] की समस्त भूमि तीन वर्गों में विभक्त थी-
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#[[खालसा भूमि]]
#[[खालसा भूमि]]
#जागीर भूमि
#[[जागीर भूमि]]
#[[सयूरगल भूमि]]
#सयूरगल भूमि





Latest revision as of 07:14, 25 April 2018

सयूरगल भूमि मुग़लकालीन समय में वह भूमि थी, जो राज्य द्वारा अनुदान में दी जाती थी और जिससे राजस्व आदि वसूल नहीं किया जाता था।

  • भूमि कर के विभाजन के आधार पर मुग़ल साम्राज्य की समस्त भूमि तीन वर्गों में विभक्त थी-
  1. खालसा भूमि
  2. जागीर भूमि
  3. सयूरगल भूमि


"सयूरगल भूमि" - इस प्रकार की भूमि को 'मदद-ए-माश' भी कहा जाता था। यह भूमि अनुदान के रूप में धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को दी जाती थी। इस तरह की अधिकांश भूमि अनुत्पादक होती थी। इस भूमि को ‘मिल्क’ भी कहा जाता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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