तन्तिपाल: Difference between revisions

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*इस श्रुति के अनुसार तन्ति शब्द वाणी का वाचक है। तन्तिपाल कहकर [[सहदेव]] ने गूढ़रूप से [[युधिष्ठिर]] को यह बताया कि मैं आपकी प्रत्येक आशा का पालन करूँगा।  
*इस श्रुति के अनुसार तन्ति शब्द वाणी का वाचक है। तन्तिपाल कहकर [[सहदेव]] ने गूढ़रूप से [[युधिष्ठिर]] को यह बताया कि मैं आपकी प्रत्येक आशा का पालन करूँगा।  
*साधारण लोगों की दृष्टि में तन्तिपाल का अर्थ है, बैलों को बाँधने की रस्सी को सुरक्षित रखने वाला। अत: सहदेव ने भी अपना परिचय यथार्थ ही दिया।
*साधारण लोगों की दृष्टि में तन्तिपाल का अर्थ है, बैलों को बाँधने की रस्सी को सुरक्षित रखने वाला। अत: सहदेव ने भी अपना परिचय यथार्थ ही दिया।
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Revision as of 14:46, 14 September 2010

  • महाभारत में पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञात वास भी था जो उन्होंने विराट नगर में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया।

'तस्य वाक्तन्तिर्नामानि दामानी'

  • इस श्रुति के अनुसार तन्ति शब्द वाणी का वाचक है। तन्तिपाल कहकर सहदेव ने गूढ़रूप से युधिष्ठिर को यह बताया कि मैं आपकी प्रत्येक आशा का पालन करूँगा।
  • साधारण लोगों की दृष्टि में तन्तिपाल का अर्थ है, बैलों को बाँधने की रस्सी को सुरक्षित रखने वाला। अत: सहदेव ने भी अपना परिचय यथार्थ ही दिया।

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