तेनाली रामा: Difference between revisions

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==परिचय==
==परिचय==
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Latest revision as of 05:49, 12 October 2022

तेनाली रामा
पूरा नाम तेनालि रामकृष्ण
जन्म 22 सितम्बर, 1480 ई.
जन्म भूमि तेनाली गाँव, विजय नगर साम्राज्य
मृत्यु तिथि 5 अगस्त, 1528 ई.
मृत्यु स्थान तेनाली गाँव, विजय नगर साम्राज्य
पिता/माता माता- लक्ष्मम्मा

पिता- गरलापति रमय्या

पति/पत्नी शारदा देवी
धार्मिक मान्यता कहा जाता है कि तेनाली रामा शिव के भक्त हुआ करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने वैष्णव धर्म अपना लिया।
संबंधित लेख विजय नगर साम्राज्य, कृष्णदेव राय
अन्य जानकारी इतने महान कवि तेनाली रामा ने किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। अशिक्षित होने के बावजूद तेनाली रामा ने मराठी, तमिल और कन्नड़ जैसी भाषाओं में महारथ हासिल की हुई थी।

तेनाली रामा (अंग्रेज़ी: Tenali Rama) मध्यकालीन विजय नगर साम्राज्य के 'अष्टदिग्गज' कवियों में से एक था। तेनाली रामा को 'तेनालि रामकृष्ण' के नाम से भी जाना जाता है। एक कवि होने के साथ-साथ वह एक चतुर इंसान भी हुआ करते थे। उन्होंने अपने जीवन काल में कई तरह की कविताएं लिखी हैं। तेनाली रामा अपनी बुद्धि और हास्य के लिए काफी जाने जाते थे। वह विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार के अष्टदिग्गजों में से एक थे।

परिचय

माना जाता है कि तेनाली रामा का जन्म 16वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश राज्य में हुआ था। वहीं जन्म के समय इनका नाम 'गरलापति रामाकृष्ण' था। तेलुगु ब्राह्मण परिवार से नाता रखने वाले तेनाली रामा के पिता गरलापति रमय्या एक पंड़ित हुआ करते थे, जबकि उनकी मां लक्ष्मम्मा घर संभालती थी। कहा जाता है कि जब तेनाली रामा छोटे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद उनकी मां, उनको लेकर अपने माता-पिता के यहां चली गई थी। उनकी मां के गांव का नाम ‘तेनाली’ था।[1]

शिक्षा

इतने महान कवि तेनाली रामा ने किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त नहीं की थी। अशिक्षित होने के बावजूद तेनाली रामा ने मराठी, तमिल और कन्नड़ जैसी भाषाओं में महारथ हासिल की हुई थी। वहीं माना जाता है कि तेनाली जी ने वैष्णव धर्म अपना लिया था। अपनी जरूरतों को पूरा करने के मकसद से वो भागवत मेला की प्रसिद्ध मंडली में काम करने लगे थे। इस मंडली का हिस्सा बनकर उन्होंने कई तरह के कार्यक्रम किए थे।

राजा कृष्णदेव राय का साथ

विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय और तेनाली रामा की जोड़ी को अकबर और बीरबल की जोड़ी के समान माना जाता है। तेनाली ने राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक कवि के रूप में काम करना शुरू किया था। कहा जाता है कि एक बार जब तेनाली रामा अपनी मडंली के साथ विजयनगर में एक कार्यक्रम कर रहे थे, तब उनकी पहली बार मुलाकात कृष्णदेव राय से हुई थी और राजा को उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन काफी पसंद आया था। जिसके बाद राजा ने उन्हें अपने दरबार में एक कवि का कार्य सौपा था। लेकिन तेनाली इतने चतुर थे कि उन्होंने धीरे-धीरे अपनी बुद्धिमानी से राजा के और करीब आ गए। राजा जब भी किसी परेशानी में हुआ करते थे, तो सलाह के लिए अपने आठ कवि में से केवल तेनाली रामा को याद किया करते थे।[1]

फिल्में और नाटक

तेनाली रामा के जीवन के ऊपर कन्नड़ भाषा में फिल्म भी बनी हैं। इतना ही नहीं बच्चों के लिए कार्टून नेटवर्क ने भी एक नाटक बनाया था और इस नाटक का नाम ‘दी एडवेंचर ऑफ़ तेनाली रामा’ रखा था। वहीं सब टीवी पर उनके जीवन पर आधारित एक कार्यक्रम भी आया। दूरदर्शन ने भी तेनाली रामा नाम का एक नाटक बनाया था और इस नाटक में उनकी कहानियां दिखाई गई थीं। इसके अलावा उनकी कहानियों से जुड़ी कई किताबे में छापी गई हैं, जो कि बच्चों द्वारा काफी पसंद की जाती हैं।

रोचक तथ्य

  • कहा जाता है कि तेनाली रामा शिव के भक्त हुआ करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने वैष्णव धर्म को अपना लिया और विष्णु की भक्ति करने लगे। इतना ही नहीं उन्होंने अपना नाम रामकृष्ण रख लिया था। वहीं उनके नाम के आगे तेनाली इसलिए जोड़ा गया क्योंकि वो जिस गांव से आते थे, उसका नाम तेनाली था।
  • तेनाली रामा द्वारा लिखे गए पांडुरंग महात्म्यं काव्य को तेलुगु साहित्य में उच्च स्थान दिया गया है। इस काव्य को इस भाषा के पांच महाकाव्यों में गिना जाता है। इतना ही नहीं इसलिए उनका उपनाम “विकट कवि” रखा गया है।
  • तेनाली न केवल किताबें लिखा करते थे, बल्कि उन्होंने अपनी बुद्धिमानी से एक बार विजय नगर साम्राज्य को दिल्ली के सुल्तानों से भी बचाया था। इसके अलावा कृष्णदेव राय और तेनाली रामा के बीच कई लोकप्रिय कहानियां भी हैं।
  • कहा जाता है कि वैष्णव धर्म को अपनाने के चलते तेनाली रामा को गुरुकुल में शिक्षा देने से मना कर दिया गया था। जिसके चलते तेनाली रामा ने अपने जीवन में कभी भी शिक्षा हासिल नहीं की।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 तेनाली राम की कहानियां और उनका जीवन परिचय (हिंदी) deepawali.co.in। अभिगमन तिथि: 11 अक्टूबर, 2022।

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