भगवान् अब पाँचवें से आठवें श्लोक तक पहले उन तीनों गुणों की प्रकृति से उत्पत्ति और उनके विभिन्न नाम बताकर फिर उनके स्वरूप और उनके द्वारा जीवात्मा के बन्धन प्रकार का क्रमश: पृथक्-पृथक् वर्णन करते हैं-
हे <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण- ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं ।।5।।
Sattva, Rajas and Tamas- these three qualities born of nature tie down the imperishable soul to the body, Arjuna. (5)
महाबाहो = हे अर्जुन ; सत्त्वम् = सत्त्वगुण ; रज: = रजोगुण (और) ; तम: = तमोगुण ; इति = ऐसे (यह) ; प्रकृतिसंभवा: = प्रकृति से उत्पन्न हुए ; गुणा: = तीनों गुण ; अव्ययम् = (इस) अविनाशी ; देहिनम् = जीवात्मा को ; देहे = शरीर में ; निबन्धन्ति = बांधते हैं