अब दो श्लोकों में <balloon link="दुर्योधन" title="धृतराष्ट्र-गांधारी के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था । दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था ।
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दुर्योधन </balloon> अपने पक्ष के प्रधान वीरों के नाम बतलाते हुए अन्यान्य वीरों के सहित उनकी प्रशंसा करते हैं-
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिंजय:। अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ।।8।।
आप <balloon link="द्रोणाचार्य" title="द्रोणाचार्य कौरव और पांडवो के गुरु थे । कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम मे ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी । अर्जुन द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे ।
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द्रोणाचार्य</balloon> और पितामह <balloon link="भीष्म" title="भीष्म महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं । ये महाराजा शांतनु के पुत्र थे । अपने पिता को दिये गये वचन के कारण इन्होंनें आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था । इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था।
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भीष्म</balloon> तथा <balloon link="कर्ण" title="कर्ण कुन्ती व सूर्यदेव के पुत्र थे । एक अत्यन्त पराक्रमी तथा दानशील पुरुष ।
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कर्ण</balloon> और संग्राम विजयी कृपाचार्य तथा वैसे ही <balloon link="अश्वत्थामा" title="अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया।
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अश्वत्थामा</balloon>, विकर्ण और सोमदत्त पुत्र भूरिश्रवा ।।8।।
Yourself and Bhisma and Karna and Kripa, who is ever victorious in battle; and even so Asvatthama, Vikarna and Bhurisrava (the son of Somadatta).(8)
भवान् = आप; भीष्म: = पितामह भीष्म; कर्ण: = कर्ण; समितिंजय: =संग्रामविजयी; कृप: =कृपाचार्य; तथा =वैसे; एव = ही; अश्वत्थामा = अश्वत्थामा; विकर्ण: =विकर्ण; च = और; सौमदत्ति: = सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा;