इस प्रकार <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर मे जीतने वाला वो ही था।
¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> के छ: प्रश्नों का उत्तर देकर अब भगवान् अन्तकाल संबंधी सातवें प्रश्न का उत्तर आरम्भ करते हैं-
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् । य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: ।।5।।
जो पुरुष अन्तकाल में भी मुझको ही स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग कर जाता है, वह मेरे साक्षात् स्वरूप को प्राप्त होता है- उसमें कुछ भी संशय नहीं है ।।5।।
He who departs from the body, thinking of me alone even at the time of death, attains my state; there is no doubt about it. (5)
च = और ; य: = जो पुरुष ; अन्तकाले = अन्तकाल में ; माम् = मेरे को ; एव = ही ;स्मरन् = स्मरण करता हुआ ; कलेवरम् = शरीर को ; मुक्त्वा = त्याग कर ; प्रयाति = जाता है ; स: = वह ; मभ्दावम् = मेरे (साक्षात्) स्वरूप को ; याति = प्राप्त होता है ; अत्र = इसमें (कुछ भी) ; संशय: = संशय ; न = नहीं ; अस्ति = है