गीता 9:2

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:58, 5 January 2013 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

गीता अध्याय-9 श्लोक-2 / Gita Chapter-9 Verse-2

राजविद्या राजगुह्रां पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ।।2।।



यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फल वाला, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है ।।2।।

This knowledge of both the Nirguna and saguna aspects of divinity is a sovereign science, a sovereign secret, supremely holy, most excellent, directly enjoyable, attended with virtue, very easy to practice and imperishable.(2)


इदम् = यह (ज्ञान) ; राजविद्या = सब विद्याओंका राजा (तथा) ; राजगुह्मम् = सब गोपनीयोंका भी राजा (एवं) ; पवित्रम् = अति पवित्र ; उत्तमम् = उत्तम ; प्रत्यक्षावगमम् = प्रत्यक्ष फल वाला (और); धर्म्यम् = धर्मयुक्त है ; कर्तुम् = साधन करने को ; सुसुखम् = बड़ा सुगम (और) ; अव्ययम् = अविनाशी है ;



अध्याय नौ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-9

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः