गीता 1:10: Difference between revisions
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इस प्रकार भीष्म द्वारा संरक्षित अपनी सेना को अजेय बताकर, अब < | इस प्रकार भीष्म द्वारा संरक्षित अपनी सेना को अजेय बताकर, अब [[दुर्योधन]]<ref>[[धृतराष्ट्र]]-[[गांधारी]] के सौ पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र दुर्योधन था। दुर्योधन [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध में पारंगत था और [[श्रीकृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] का शिष्य था।</ref> सब ओर से [[भीष्म]]<ref>भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था।</ref> की रक्षा करने के लिये [[द्रोणाचार्य]]<ref>द्रोणाचार्य [[कौरव]] और पांडवों के गुरु थे। कौरवों और पांडवों ने द्रोणाचार्य के आश्रम में ही अस्त्रों और शस्त्रों की शिक्षा पायी थी। [[अर्जुन]] द्रोणाचार्य के प्रिय शिष्य थे।</ref> आदि समस्त महारथियों से अनुरोध करते हैं- | ||
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< | [[भीष्म]]<ref>भीष्म [[महाभारत]] के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। ये महाराजा [[शांतनु]] के पुत्र थे। अपने [[पिता]] को दिये गये वचन के कारण इन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। इन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था।</ref> पितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है और [[भीम]]<ref>[[पाण्डु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह [[गदा शस्त्र|गदा]] युद्ध में पारंगत था।</ref> द्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है ।।10।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 10:56, 3 January 2013
गीता अध्याय-1 श्लोक-10 / Gita Chapter-1 Verse-10
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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