गीता 4:36: Difference between revisions
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कोई भी दृष्टान्त परमार्थ विषय को पूर्ण रूप से नहीं समझा सकता, उसके एक अंश को ही समझाने के लिये उपयोगी होता है; अतएव पूर्व श्लोक में बतलाये हुए ज्ञान के | कोई भी दृष्टान्त परमार्थ विषय को पूर्ण रूप से नहीं समझा सकता, उसके एक अंश को ही समझाने के लिये उपयोगी होता है; अतएव पूर्व [[श्लोक]] में बतलाये हुए ज्ञान के महत्त्व को [[अग्नि]] के दृष्टान्त से पुन: स्पष्ट करते हैं- | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 13:03, 4 January 2013
गीता अध्याय-4 श्लोक-36 / Gita Chapter-4 Verse-36
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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