गीता 8:1: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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भगवान् को जानने की बात का रहस्य भली-भाँति न समझने के कारण इस आठवें अध्याय के आरम्भ में पहले दो श्लोकों में < | भगवान् को जानने की बात का रहस्य भली-भाँति न समझने के कारण इस आठवें अध्याय के आरम्भ में पहले दो [[श्लोक|श्लोकों]] में [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> उपर्युक्त सातों विषयों को समझने के लिये भगवान से सात प्रश्न करते हैं- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
'''अर्जुन उवाच'''<br/> | '''अर्जुन उवाच'''<br/> | ||
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'''अर्जुन ने कहा –''' | '''अर्जुन ने कहा –''' | ||
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हे < | हे पुरुषोत्तम<ref>मधुसूदन, केशव, पुरुषोत्तम, वासुदेव, माधव, जनार्दन और वार्ष्णेय सभी भगवान् [[कृष्ण]] का ही सम्बोधन है।</ref> ! वह ब्रह्म क्या है ? अध्यात्म क्या है ? कर्म क्या है ? अधिभूत नाम से क्या कहा गया है और अधिदैव किसको कहते हैं ।।1।। | ||
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{{ | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
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Latest revision as of 08:29, 5 January 2013
गीता अध्याय-8 श्लोक-1 / Gita Chapter-8 Verse-1
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |
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