गीता 8:3: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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< | [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> के सात प्रश्नों में से भगवान् अब पहले ब्रह्म, अध्यात्म और कर्म विषयक तीन प्रश्नों का उत्तर अगले [[श्लोक]] में क्रमश: संक्षेप से देते हैं- | ||
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<div align="center"> | <div align="center"> | ||
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'''श्रीभगवान् ने कहा-''' | '''श्रीभगवान् ने कहा-''' | ||
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परम अक्षर 'ब्रह्म' है , अपना स्वरूप अर्थात् जीवात्मा 'अध्यात्म्' नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह 'कर्म' नाम से कहा गया है ।।3।। | परम अक्षर 'ब्रह्म' है, अपना स्वरूप अर्थात् जीवात्मा 'अध्यात्म्' नाम से कहा जाता है तथा भूतों के भाव को उत्पन्न करने वाला जो त्याग है, वह 'कर्म' नाम से कहा गया है ।।3।। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 08:41, 5 January 2013
गीता अध्याय-8 श्लोक-3 / Gita Chapter-8 Verse-3
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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