गीता 8:23: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>") |
No edit summary |
||
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 9: | Line 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
< | [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> के प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान् ने अन्तकाल में किस प्रकार मनुष्य परमात्मा को प्राप्त होता है, यह बात भली-भाँति समझायीं। प्रसंग वश यह बात भी कही कि भगवत्प्राप्ति न होने पर ब्रह्मलोक तक पहुँचकर भी जीव आवागमन के चक्कर से नहीं छूटता। परंतु वहाँ यह बात नहीं कही गयी कि जो वापस न लौटने वाले स्थान को प्राप्त होते हैं, वे किस रास्ते से और कैसे जाते हैं तथा इसी प्रकार जो वापस लौटने वाले स्थानों को प्राप्त होते हैं, वे किस रास्ते से जाते हैं। अत: उन दोनों मार्गों का वर्णन करने के लिये भगवान् प्रस्तावना करते हैं- | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
Line 24: | Line 22: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
हे अर्जुन ! जिस काल में शरीर त्यागकर गये हुए योगीजन तो वापस न लौटने वाली गति को और जिस काल में गये हुए वापस लौटने वाली गति को ही प्राप्त होते हैं, उस काल को अर्थात् दोनों मार्गों को कहूँगा ।।23।। | हे [[अर्जुन]] ! जिस काल में शरीर त्यागकर गये हुए योगीजन तो वापस न लौटने वाली गति को और जिस काल में गये हुए वापस लौटने वाली गति को ही प्राप्त होते हैं, उस काल को अर्थात् दोनों मार्गों को कहूँगा ।।23।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
Line 59: | Line 57: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | {{गीता2}} | ||
</td> | </td> |
Latest revision as of 09:33, 5 January 2013
गीता अध्याय-8 श्लोक-23 / Gita Chapter-8 Verse-23
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||