गीता 10:41: Difference between revisions
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अठारवें श्लोक में < | अठारवें [[श्लोक]] में [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ने भगवान् से उनकी विभूति और योग शक्ति का वर्णन करने की प्रार्थना की थी, उसके अनुसार भगवान् अपनी दिव्य विभूतियों का वर्णन समाप्त करके अब संक्षेप में अपनी योग शक्ति का वर्णन करते हैं – | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 14:01, 5 January 2013
गीता अध्याय-10 श्लोक-41 / Gita Chapter-10 Verse-41
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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