गीता 14:5: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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भगवान् अब पाँचवें से आठवें श्लोक तक पहले उन तीनों गुणों की प्रकृति से उत्पत्ति और उनके विभिन्न नाम बताकर फिर उनके स्वरूप और उनके द्वारा जीवात्मा के बन्धन प्रकार का क्रमश: पृथक्-पृथक् वर्णन करते हैं- | भगवान् अब पाँचवें से आठवें [[श्लोक]] तक पहले उन तीनों गुणों की प्रकृति से उत्पत्ति और उनके विभिन्न नाम बताकर फिर उनके स्वरूप और उनके द्वारा जीवात्मा के बन्धन प्रकार का क्रमश: पृथक्-पृथक् वर्णन करते हैं- | ||
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण- ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण अविनाशी जीवात्मा को शरीर में बाँधते हैं ।।5।। | ||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 10:18, 6 January 2013
गीता अध्याय-14 श्लोक-5 / Gita Chapter-14 Verse-5
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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