गीता 15:17: Difference between revisions
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इस प्रकार क्षर और अक्षर पुरुष का स्वरूप बतलाकर अब उन दोनों से श्रेष्ठ पुरुषोत्तम भगवान् के स्वरूप का और पुरुषोत्तम होने के कारण का वर्णन दो श्लोकों में करते हैं- | इस प्रकार क्षर और अक्षर पुरुष का स्वरूप बतलाकर अब उन दोनों से श्रेष्ठ पुरुषोत्तम भगवान् के स्वरूप का और पुरुषोत्तम होने के कारण का वर्णन दो [[श्लोक|श्लोकों]] में करते हैं- | ||
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Latest revision as of 11:13, 6 January 2013
गीता अध्याय-15 श्लोक-17 / Gita Chapter-15 Verse-17
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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