बुलंद दरवाज़ा: Difference between revisions

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*यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है।  
*यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है।  
*52 सीढ़ियों के पश्चात दर्शक दरवाज़े के अंदर पहुंचता है।  
*52 सीढ़ियों के पश्चात् दर्शक दरवाज़े के अंदर पहुंचता है।  
*दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।  
*दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।  
*शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।  
*शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।  

Latest revision as of 11:10, 1 August 2017

बुलंद दरवाज़ा
[[चित्र:Buland-Darwaja-Fatehpur-Sikri-Agra.jpg|बुलंद दरवाज़ा, फ़तेहपुर सीकरी, आगरा|200px|center]]
विवरण बुलंद दरवाज़े को, 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला आगरा
निर्माता अकबर
निर्माण काल मुग़ल काल
स्थापना 1602 ई.
मार्ग स्थिति आगरा से 43 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज, रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन आगरा कैंट रेलवे स्टेशन, आगरा फ़ोर्ट रेलवे स्टेशन
बस अड्डा ईदगाह बस स्टैंड
यातायात टैक्सी, ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा, बस आदि।
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 0562
ए.टी.एम लगभग सभी
संबंधित लेख ताजमहल, फ़तेहपुर सीकरी, सिकंदरा, जामा मस्जिद


अन्य जानकारी दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।
अद्यतन‎

बुलन्द दरवाज़ा, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में आगरा से 43 किमी दूर फ़तेहपुर सीकरी नामक स्थान पर स्थित एक दर्शनीय स्मारक है। इसका निर्माण अकबर ने 1602 में करवाया था। बुलन्द शब्द का अर्थ महान् या ऊँचा है। अपने नाम को सार्थक करने वाला यह स्मारक विश्व का सबसे बडा़ प्रवेशद्वार है। फ़तेहपुर सीकरी में अकबर के समय के अनेक भवनों, प्रासादों तथा राजसभा के भव्य अवशेष आज भी वर्तमान हैं।

  • यहाँ की सर्वोच्च इमारत बुलंद दरवाज़ा है, जिसकी ऊंचाई भूमि से 280 फुट है।
  • 52 सीढ़ियों के पश्चात् दर्शक दरवाज़े के अंदर पहुंचता है।
  • दरवाज़े में पुराने जमाने के विशाल किवाड़ ज्यों के त्यों लगे हुए हैं।
  • शेख सलीम की मान्यता के लिए अनेक यात्रियों द्वारा किवाड़ों पर लगवाई हुई घोड़े की नालें दिखाई देती हैं।
  • बुलंद दरवाज़े को, 1602 ई. में अकबर ने अपनी गुजरात-विजय के स्मारक के रूप में बनवाया था।
  • इसी दरवाज़े से होकर शेख की दरगाह में प्रवेश करना होता है।
  • बाईं ओर जामा मस्जिद है और सामने शेख का मज़ार। मज़ार या समाधि के पास उनके संबंधियों की क़ब्रें हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख