गीता 7:26: Difference between revisions
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'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
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श्रद्धा- | श्रद्धा-[[भक्ति]] रहित मूढ मनुष्यों में से कोई भी भगवान् को नहीं जानता, इसमें क्या कारण है? यही बतलाने के लिये भगवान् कहते हैं- | ||
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हे < | हे [[अर्जुन]]<ref>[[महाभारत]] के मुख्य पात्र है। वे [[पाण्डु]] एवं [[कुन्ती]] के तीसरे पुत्र थे। सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में वे प्रसिद्ध थे। [[द्रोणाचार्य]] के सबसे प्रिय शिष्य भी वही थे। [[द्रौपदी]] को [[स्वयंवर]] में भी उन्होंने ही जीता था।</ref> ! पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा आगे होने वाले सब भूतों को मैं जानता हूँ, परंतु मुझको कोई भी श्रद्धा-[[भक्ति]] रहित पुरुष नहीं जानता ।।26।। | ||
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अर्जुन = हे अर्जुन ; समतीतानि = पूर्व में व्यतीत हुए ; च = तथा ; भविष्याणि = आगे | अर्जुन = हे अर्जुन ; समतीतानि = पूर्व में व्यतीत हुए ; च = तथा ; भविष्याणि = आगे होने वाले ; भूतानि = सब भूतों को ; अहम् = मैं ; वेद = जानता हूं ; च = और ; वर्तमानानि = वर्तमान में स्थित ; तु = परन्तु ; माम् = मेरे को ; कश्र्चन = कोई भी (श्रद्धाभक्तिरहित पुरुष) ; न = नहीं ; वेद = जानता है | ||
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Latest revision as of 13:46, 6 September 2017
गीता अध्याय-7 श्लोक-26 / Gita Chapter-7 Verse-26
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
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