गीता 2:68: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
m (1 अवतरण) |
No edit summary |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
<table class="gita" width="100%" align="left"> | <table class="gita" width="100%" align="left"> | ||
<tr> | <tr> | ||
Line 9: | Line 8: | ||
'''प्रसंग-''' | '''प्रसंग-''' | ||
---- | ---- | ||
इस प्रकार मन और इन्द्रियों के संयम न करने में हानि और संयम करने में लाभ दिखलाकर तथा स्थितप्रज्ञ-अवस्था प्राप्त करने के लिये राग-द्वेष के त्यागपूर्वक मनसहित इन्द्रियों के संयम की विशेष आवश्यकता का प्रतिपादन करके स्थितप्रज्ञ पुरुष की अवस्था का वर्णन | इस प्रकार मन और [[इन्द्रियाँ|इन्द्रियों]] के संयम न करने में हानि और संयम करने में लाभ दिखलाकर तथा स्थितप्रज्ञ-अवस्था प्राप्त करने के लिये राग-द्वेष के त्यागपूर्वक मनसहित इन्द्रियों के संयम की विशेष आवश्यकता का प्रतिपादन करके स्थितप्रज्ञ पुरुष की अवस्था का वर्णन किया। अब साधारण विषयासक्त मनुष्यों में और मन-इन्द्रियों का संयम करके परमात्मा को प्राप्त हुए स्थिर बुद्धि संयमी महापुरुष में क्या अन्तर है, इस बात को रात और दिन के दृष्टान्त से समझाते हुए उनकी स्वाभाविक स्थिति का वर्णन करती हैं- | ||
---- | ---- | ||
<div align="center"> | <div align="center"> | ||
Line 23: | Line 22: | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
---- | ---- | ||
इसलिये हे < | इसलिये हे महाबाहो<ref>पार्थ, भारत, धनज्जय, पृथापुत्र, परन्तप, गुडाकेश, महाबाहो सभी [[अर्जुन]] के सम्बोधन है।</ref> ! जिस पुरुष की [[इन्द्रियाँ]] के विषयों से सब प्रकार निग्रह की हुई हैं, उसी की बुद्धि स्थिर है ।।68।। | ||
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | | style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"| | ||
Line 53: | Line 52: | ||
<tr> | <tr> | ||
<td> | <td> | ||
{{गीता अध्याय}}</td> | {{गीता अध्याय}} | ||
</td> | |||
</tr> | |||
<tr> | |||
<td> | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{गीता2}} | |||
</td> | |||
</tr> | |||
<tr> | |||
<td> | |||
{{महाभारत}} | |||
</td> | |||
</tr> | </tr> | ||
</table> | </table> | ||
[[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | [[Category:गीता]] [[Category:महाभारत]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 09:02, 4 January 2013
गीता अध्याय-2 श्लोक-68 / Gita Chapter-2 Verse-68
|
||||
|
||||
|
||||
|
||||
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |
||||