गीता 7:12: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "<td> {{महाभारत}} </td> </tr> <tr> <td> {{गीता2}} </td>" to "<td> {{गीता2}} </td> </tr> <tr> <td> {{महाभारत}} </td>")
No edit summary
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
<table class="gita" width="100%" align="left">
<table class="gita" width="100%" align="left">
<tr>
<tr>
Line 23: Line 22:
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|


और भी जो सत्त्वगुण से उत्पन्न होने वाले भाव हैं और जो रजोगुण से तथा तमोगुण से होने वाले भाव हैं, उन सबको तू 'मुझसे ही होने वाले हैं' ऐसा जान । परंतु वास्तव में उनमें मैं और वे मुझमें नहीं हैं ।।12।।  
और भी जो सत्त्वगुण से उत्पन्न होने वाले भाव हैं और जो रजोगुण से तथा तमोगुण से होने वाले भाव हैं, उन सबको तू 'मुझसे ही होने वाले हैं' ऐसा जान। परंतु वास्तव में उनमें मैं और वे मुझमें नहीं हैं ।।12।।  


| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
| style="width:50%; font-size:120%;padding:10px;" valign="top"|
Line 59: Line 58:
<tr>
<tr>
<td>
<td>
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{गीता2}}
{{गीता2}}
</td>
</td>

Latest revision as of 08:01, 5 January 2013

गीता अध्याय-7 श्लोक-12 / Gita Chapter-7 Verse-12

प्रसंग-


पवित्र स्थान में आसन स्थापन करने के बाद ध्यान योग के साधक को क्या करना चाहिये, उसे बतलाते हैं-


ये चैव सात्त्विका भावा राजसास्तामसाश्च ये ।
मत्त एवेति तान्विद्धि न त्वहं तेषु ते मयि ।।12।।



और भी जो सत्त्वगुण से उत्पन्न होने वाले भाव हैं और जो रजोगुण से तथा तमोगुण से होने वाले भाव हैं, उन सबको तू 'मुझसे ही होने वाले हैं' ऐसा जान। परंतु वास्तव में उनमें मैं और वे मुझमें नहीं हैं ।।12।।

All states of being- be they of goodness, passion or ignorance- are manifested by My energy. I am, in one sense, everything- but I am independent. I am not under the modes of this material nature.(12)


ये = जो; सात्वगुण से उत्पन्न होने वाले; भावा: = भाव हैं; ये = और; ये = जो; राजसा: = रजोगुण से; तामसा: = तमोगुण से होने वाले भाव है; तान् = इन सबको( तूं); मत्त: = मेरे से; एव = ही(होने वाले हैं); इति =ऐसा; विद्वि =जान; तु = परन्तु; (वास्तव में); तेषु = उनमें; अहम् = मैं (और); ते = वे;मयि = मेरे में; न = नहीं हैं



अध्याय सात श्लोक संख्या
Verses- Chapter-7

1 | 2 | 3 | 4, 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29, 30

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख