शाल्व राज्य: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 1: Line 1:
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=शाल्व|लेख का नाम=शाल्व (बहुविकल्पी)}}
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=शाल्व|लेख का नाम=शाल्व (बहुविकल्पी)}}
'''शाल्व राज्य''' [[महाभारत]] काल में पश्चिमी राज्य था। यह मद्र राज्य के पास था। शोभा इसकी राजधानी थी, दूसरी राजधानी मत्रिकावती भी थी। शाल्व राज्य (देश) के राजकुमार [[सावित्री सत्यवान|सत्यवान]] का विवाह मद्र देश की राजकुमारी [[सावित्री सत्यवान|सावित्री]], जो कि राजा [[अश्वपति]] की पुत्री थी, से हुआ था।
==इतिहास==
महाभारतकाल में [[भारतवर्ष]] में इस चन्द्रवंशी जाटवंश के दो जनपद थे।<ref>[[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]], अध्याय 9</ref> महाभारत युद्ध में [[शाल्व]] सैनिक [[दुर्योधन]] की ओर होकर पाण्डवों के विरुद्ध लड़े थे। महाभारत के [[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]]<ref>विराट पर्व महाभारत 1-9 </ref>और [[वनपर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>वनपर्व महाभारत 12-33 </ref>में शाल्व वंश का वर्णन मिलता है। इन शाल्वों की राजधानी सौभनगर समुद्रकुक्षि थी। [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] ने दैत्यपुरी के नाम से प्रसिद्ध सौभनगरी के नरेश का दमन किया था। काशिकावृत्ति <ref>काशिकावृत्ति 4-2-76</ref> के अनुसार एक वैधूमाग्नि नगरी भी इसी वंश की थी जिसका विधूमाग्नि नामक राजा था। सौभपुराधिपति राजा शिशुपाल का किसी नाते का भाई था। तदुपरान्त में यह वंश 6 भागों में बंट गया था। <ref>काशिकावृत्ति 4-1-17)</ref> आठवीं शताब्दी तक इनकी प्रगति लुप्त रही। 843 ई. में [[बम्बई]] प्रान्त के थाना जिले में कृष्णागिरि से प्राप्त [[शिलालेख]] से प्रमाणित होता है कि थाना जिले पर 800 ई. से 1300 ई. तक इस वंश का राज्य रहा। ये महामण्डलेश्वर क्षत्रिय शिखाचूड़ामणि कहलाते थे। मराठों के सुप्रसिद्ध 96 कुलों में और [[राजस्थान]] के ऐतिहासिकों ने 36 राजवंशों में इस वंश की गणना करते हुए चन्द्रवंशी यादवकुलीन लिखा है। इस वंश के 11 राजाओं ने [[गुजरात]] पर शासन किया। इसके बाद सिद्धराज जयसिंह सोलंकी ने अनहिलवाड़ा पाटन में शासन स्थिर करके इनको गुजरात से निकाल दिया।<ref>जाटों का उत्कर्ष | पृ- 339 | लेखक- कविराज योगेन्द्रपाल शास्त्री</ref><ref>{{cite web |url=http://www.jatland.com/home/Shalv |title=Shalv |accessmonthday=2 जनवरी |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जाटलैंड |language=हिन्दी }}</ref>


'''शाल्व राज्य''' [[महाभारत]] काल में पश्चिमी राज्य था। यह मद्र राज्य के पास था। शोभा इसकी राजधानी थी, दूसरी राजधानी मत्रिकावती भी थी।


*शाल्व राज्य (देश) के राजकुमार [[सावित्री सत्यवान|सत्यवान]] का विवाह मद्र देश की राजकुमारी [[सावित्री सत्यवान|सावित्री]], जो कि राजा [[अश्वपति]] की पुत्री थी, से हुआ था ।


{{लेख प्रगति  
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|आधार=
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
<references/>
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==सम्बंधित लेख==
==सम्बंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{महाभारत}}
[[Category:महाभारत]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:पर्यटन कोश]]  
[[Category:महाभारत]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:पौराणिक कोश]] [[Category:इतिहास कोश]]  
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 09:22, 2 January 2015

चित्र:Disamb2.jpg शाल्व एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- शाल्व (बहुविकल्पी)

शाल्व राज्य महाभारत काल में पश्चिमी राज्य था। यह मद्र राज्य के पास था। शोभा इसकी राजधानी थी, दूसरी राजधानी मत्रिकावती भी थी। शाल्व राज्य (देश) के राजकुमार सत्यवान का विवाह मद्र देश की राजकुमारी सावित्री, जो कि राजा अश्वपति की पुत्री थी, से हुआ था।

इतिहास

महाभारतकाल में भारतवर्ष में इस चन्द्रवंशी जाटवंश के दो जनपद थे।[1] महाभारत युद्ध में शाल्व सैनिक दुर्योधन की ओर होकर पाण्डवों के विरुद्ध लड़े थे। महाभारत के विराट पर्व[2]और वनपर्व[3]में शाल्व वंश का वर्णन मिलता है। इन शाल्वों की राजधानी सौभनगर समुद्रकुक्षि थी। श्रीकृष्ण ने दैत्यपुरी के नाम से प्रसिद्ध सौभनगरी के नरेश का दमन किया था। काशिकावृत्ति [4] के अनुसार एक वैधूमाग्नि नगरी भी इसी वंश की थी जिसका विधूमाग्नि नामक राजा था। सौभपुराधिपति राजा शिशुपाल का किसी नाते का भाई था। तदुपरान्त में यह वंश 6 भागों में बंट गया था। [5] आठवीं शताब्दी तक इनकी प्रगति लुप्त रही। 843 ई. में बम्बई प्रान्त के थाना जिले में कृष्णागिरि से प्राप्त शिलालेख से प्रमाणित होता है कि थाना जिले पर 800 ई. से 1300 ई. तक इस वंश का राज्य रहा। ये महामण्डलेश्वर क्षत्रिय शिखाचूड़ामणि कहलाते थे। मराठों के सुप्रसिद्ध 96 कुलों में और राजस्थान के ऐतिहासिकों ने 36 राजवंशों में इस वंश की गणना करते हुए चन्द्रवंशी यादवकुलीन लिखा है। इस वंश के 11 राजाओं ने गुजरात पर शासन किया। इसके बाद सिद्धराज जयसिंह सोलंकी ने अनहिलवाड़ा पाटन में शासन स्थिर करके इनको गुजरात से निकाल दिया।[6][7]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भीष्मपर्व, अध्याय 9
  2. विराट पर्व महाभारत 1-9
  3. वनपर्व महाभारत 12-33
  4. काशिकावृत्ति 4-2-76
  5. काशिकावृत्ति 4-1-17)
  6. जाटों का उत्कर्ष | पृ- 339 | लेखक- कविराज योगेन्द्रपाल शास्त्री
  7. Shalv (हिन्दी) जाटलैंड। अभिगमन तिथि: 2 जनवरी, 2015।

सम्बंधित लेख