गीता 15:20: Difference between revisions

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Revision as of 05:51, 14 June 2011

गीता अध्याय-15 श्लोक-20 / Gita Chapter-15 Verse-20

प्रसंग-


इस प्रकार भगवान् को पुरुषोत्तम जानने वाले पुरुष की महिमा का वर्णन करके अब इस अध्याय में वर्णित विषय को गोपनीय बतलाकर उसे जानने का फल वर्णन करते हुए इस अध्याय का उपसंहार करते हैं-


इति गुह्रातमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ ।
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृकृत्यश्च भारत ।।20।।



हे निष्पाप <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> ! इस प्रकार यह अति रहस्य युक्त गोपनीय शास्त्र मेरे द्वारा कहा गया , इसको तत्त्व से जानकर मनुष्य ज्ञानवान् और कृतार्थ हो जाता है ।।20।।

Arjuna, this most esoteric teaching has thus been imparted by Me; grasping it in essence man becomes wise and his mission in life is accomplished.(20)


अनघ = हे निष्पाप ; भारत = अर्जुन ; गुह्मतमम् = अति रहस्ययुक्त गोपनीय ; शास्त्रम् = शास्त्र ; मया = मेरे द्वारा ; उक्तम् = कहा गया ; एतत् = इसको ; इति = ऐसे = ऐसे ; इदम् = यह ; बुद्ध्वा = तत्त्व से जानकर (मनुष्य) ; बुद्धिमान् = ज्ञानवान् ; च = और ; कृतकृत्य: = कृतार्थ ; स्वात् = हो जाता है ;



अध्याय पन्द्रह श्लोक संख्या
Verses- Chapter-15

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20

अध्याय / Chapter:
एक (1) | दो (2) | तीन (3) | चार (4) | पाँच (5) | छ: (6) | सात (7) | आठ (8) | नौ (9) | दस (10) | ग्यारह (11) | बारह (12) | तेरह (13) | चौदह (14) | पन्द्रह (15) | सोलह (16) | सत्रह (17) | अठारह (18)