गीता 9:32: Difference between revisions
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इस प्रकार सदाचारिता और दुराचारिता के कारण होने वाली विषमता का अपने में अभाव दिखलाकर अब दो श्लोकों में भगवान् अच्छी बुरी जाति के कारण होने वाली विषमता का अपने में अभाव दिखलाते हुए शरणागति रूप भक्ति का | इस प्रकार सदाचारिता और दुराचारिता के कारण होने वाली विषमता का अपने में अभाव दिखलाकर अब दो श्लोकों में भगवान् अच्छी बुरी जाति के कारण होने वाली विषमता का अपने में अभाव दिखलाते हुए शरणागति रूप भक्ति का महत्त्व प्रतिपादन करके <balloon link="अर्जुन" title="महाभारत के मुख्य पात्र है। पाण्डु एवं कुन्ती के वह तीसरे पुत्र थे । अर्जुन सबसे अच्छा धनुर्धर था। वो द्रोणाचार्य का शिष्य था। द्रौपदी को स्वयंवर में जीतने वाला वो ही था। ¤¤¤ आगे पढ़ने के लिए लिंक पर ही क्लिक करें ¤¤¤">अर्जुन</balloon> को भजन करने की आज्ञा देते हैं- | ||
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Revision as of 10:27, 13 March 2011
गीता अध्याय-9 श्लोक-32 / Gita Chapter-9 Verse-32
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